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11 सितंबर 2013

....हिंदी के नारे का अपमान बंद करना होगा .....हमारी जुबान हमारी संस्क्रती है अगर इसे हम भूल गए तो हमारी संस्क्रती से हम दूर हो जायेंगे जो हम हो रहे है

हिन्दी दिवस प्रत्येक वर्ष १४ सितम्बर को मनाया जाता है। १४ सितंबर १९४९ को संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया कि हिन्दी ही भारत की राजभाषा होगी । इसी महत्वपूर्ण निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने तथा हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर सन् १९५३ से संपूर्ण भारत में १४ सितंबर को प्रतिवर्ष हिन्दी-दिवस के रूप में मनाया जाता है।

स्वतन्त्र भारत की राजभाषा के प्रश्न पर काफी विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया जो भारतीय संविधान के भाग १७ के अध्याय की धारा ३४३(१) में इस प्रकार वर्णित है:

संघ की राज भाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी । संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा ।दोस्तों संविधान की इस बाध्यता के बाद भी हमारे देश में कोंग्रेस ...भाजपा ..सपा और ना जाने केसी केसी पार्टियां जो बलात्कारी सांसदों को चुनाव लड़ने के कानून को एक रात में बदल देते है ..जो एक रात में सभी एक जुट होकर जेल से कानून नहीं लड़ने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को बदल देते है ..जो लोग खुद के वेतन और सुविधाओं पर एक रात में एक जुट होकर अपना वेतन बधवा लेते है व्ही लोग हिंदी की चिंदी करते नज़र आते है संसद जहां संविधान की पवित्र आत्मा होती है वहां हिंदी नहीं अंग्रेजी में बोला जाता है वहां हिंदी की बाध्यता खत्म कर दी जाती है ...दोस्तों अगर देश में सिर्फ और सिर्फ लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम और बेरोजगारों को रोज़गार देने सहित कई आवेदन भरने के नियम बदल जाए और निर्धारित नियमों में पंचायत ..पालिका ..विधायिका ..संसद तक के चुनाव में आवेदक के लियें खुद का हस्तलिखित हिंदी भाषा में आवेदन की बाध्यता कर दी जाए ..किसी भी नोकरी का आवेदन हो ..किसी भी योजना का आवेदन हो अगर आवेदक की हस्त लेखनी में हिंदी भाषा में भरने की बाध्यता कर दी जाए तो निश्चित तोर पर हिंदी का विकास हो सकेगा वरना हर साल करोड़ों अरबों रूपये खर्च कर जनता  को यह बेवकूफ बनाने का गोरख धंधा हमे बंद करना होगा ....हिंदी के नारे का अपमान बंद करना होगा .....हमारी जुबान हमारी संस्क्रती है अगर इसे हम भूल गए तो हमारी संस्क्रती से हम दूर हो जायेंगे जो हम हो रहे है ........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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