सीकर। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत शनिवार शाम को सीकर पहुंचे। वे रविवार को मंडावरा व सीकर में होने वाले कार्यक्रम में शामिल होंगे। शनिवार शाम को सीकर पहुंचने के बाद संघ प्रमुख, राष्ट्र संत मुनि पुलक सागर से मुलाकात के लिए जैन भवन पहुंचे। बंद कमरे में आधा घंटे की मुलाकात में धर्म, राष्ट्र व समाज को लेकर चर्चा हुई।
राष्ट्र संत पुलक सागर ने वक्त की नजाकत को देखते हुए भारतीय धर्म गुरुओं के लिए आचार संहिता की जरूरत बताई। इस पर सरसंघ प्रमुख भागवत ने सहमति जताई। पुलक सागर महाराज ने कहा कि संतों की मर्यादाएं निश्चित की जानी चाहिए।
यह कदम नहीं उठाए गए तो लोगों की आस्थाओं के मंदिर ढह जाएंगे। पत्थरों के मंदिर गिरते हैं तो फिर बन जाते हैं पर आस्थाओं के मंदिर दुबारा नहीं बन सकते। उन्होंने सर संघ चालक से कहा कि संघ की तरफ से संत समाज के बीच संत मर्यादाओं की बात रखें।
मोहन भागवत ने विचारों पर सहमति जताते हुए कहा कि संत महंत और कथावाचक इनके बीच पदानुसार विभाजन होना चाहिए। सरलता वैराग्य और साधना संतों की पहचान होनी चाहिए।
सांसारिकता में फंसकर साधु संत भी अपनी मर्यादाओं की रेखा को लांघ जाते हैं। इससे पहले जैन मुनि ने अपनी नई पुस्तक 'भारत भाग्य विधाता' भागवत को दी। भागवत ने भी कुछ पुस्तकें मुनि को सौंपी। यहां से मोहन भागवत राधाकिशनपुरा में जिला कार्यवाहक भंवरदान के घर पहुंचे। यहां मुलाकात के लिए रैवासा पीठाधीश्वर राघवाचार्य महाराज भी पहुंचे।
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