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15 अगस्त 2013

भगवान कृष्ण न चलते यह चाल तो बदल गया होता महाभारत का अंत!


राजस्थान की धरती पर अनेक सांस्कृतिक रंग हर पग पर नजर आते हैं। वीर सपूतों की इस धरती पर धर्म और आध्यात्म के भी कई रंग दिखाई देते हैं। कहीं बुलट वाले बाबा की पूजा होती है तो कहीं तलवारों के साये में मां की आरती की जाती है। dainikbhaskar.com धर्म-यात्रा सीरीज में आज हम आपको एक ऐसी कहानी बता रहे हैं जिसका संबंध महाभारत से है। अगर भगवान कृष्ण ने यह छल नहीं किया होता तो शायद महाभारत का परिणाम कुछ और होता। 
 
बात उस समय की है जब पांडवों और कौरवों के बीच महाभारत का युद्ध चल रहा था। उस समय भीम के पुत्र घटोत्कच व नाग कन्या अहिलवती के पुत्र बर्बरीक ने अपनी मां से इस युद्ध में भाग लेने की अनुमति मांगी। बर्बरीक की मां ने उसे युद्ध में भाग लेने की अनुमति देते हुए कहा कि वह युद्ध में उस पक्ष का साथ देगा जो निर्बल होगा।
 
अपनी माता से आज्ञा लेकर बर्बरीक युद्ध के लिए निकल गए। उस समय उसके तरकश में मात्र तीन ही बाण थे जो उन्हें भगवान शिव से वरदान स्वरूप मिले थे। वे इन तीनो बाणों से तीन लोक जीत सकते थे।

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