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14 जुलाई 2013

मन्दिर ..मस्जिद के नाम पर लड़ाना ..चंदे करना ..व्यापार करना ..वोट बटोरने की बात करना राष्ट्रीयता नहीं गद्दारी की श्रेणी में आता है और ऐसे लोग देश के राष्ट्र के आस्तीन के सांप कहलाते है बोलो सच है या गलत .....

जो धर्म को राष्ट्र से बढा समझता है जो राष्ट्रवाद से धर्मवाद और सम्प्रदायवाद को बढ़ा समझता है वोह जिन्ना हो ..चाहे नाथूराम गोडसे हो ..चाहे भिंदरवाला हो ..चाहे नरेंदर मोदी हो ..चाहे अफज़ल गुरु हो ..जो भी चाहे में हूँ चाहे आप हो वोह राष्ट्रभक्त नहीं गद्दार और आतंकवादी से कम नहीं होते और देश को इन लोगों से कितना बढ़ा खतरा है इतिहास गवाह है जनाब धर्म को मानो धर्म को जियो लेकिन राष्ट्रीयता को सर्वोच्चता दो तभी देश बाख पायेगा वरना एक मुस्लिमवादी विचारधारा का प्रधानमन्त्री बना और मुस्लिम देश पाकिस्तान हमला करे तो वोह उसका प्रतिकार इसलियें नहीं करेगा क्यूंकि वोह मुस्लिम्वादी है और हमलावर भी मुस्लिम्वादी है ...अगर एक हिंदूवादी प्रधानमन्त्री बना और हिन्दू राष्ट्र नेपाल अगर देश पर हमला करेगा तो वोह खामोश रहेगा क्यूंकि हमलावर हिंदूवादी है इसलियें दोस्तों राष्ट्रवादी का पाठ पढो राष्ट्रवादिता का पाठ पढाओ पर जो नेता देश और राष्ट्र ..राष्ट्रवादिता से बढ़ा धर्म को मानते है ऐसे लोगों को नकार दो जवाब दो कह दो धर्म वोह है जो  राष्ट्रीयता सिखाता है मन्दिर ..मस्जिद के नाम पर लड़ाना ..चंदे करना ..व्यापार करना ..वोट बटोरने की बात करना राष्ट्रीयता नहीं गद्दारी की श्रेणी में आता है और ऐसे लोग देश के राष्ट्र के आस्तीन के सांप कहलाते है बोलो सच है या गलत .....

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