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29 जून 2013

तालिबानियों से भी खतरनाक बिहार के अपराधी: वहां 'मलाला' थी, यहां 'उज्मा'



पटना। इस लड़की को गौर से देखिए। यह मलाला नहीं है। यह तो उज्मा आरा है। मलाला से भी ज्यादा वीभत्स तरीके से बिहार के बदमाशों ने उज्मा का भुजाली से हाथ काट दिया। लेकिन मलाला जैसी किस्मत उज्मा आरा की नहीं है। मलाला के लिए पूरी दुनिया खड़ी हो गई थी और उज्मा के लिए कोई नहीं।
 
पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सर्जरी वार्ड में बेसुध पड़ी इस लड़की की उम्र आठ साल है और बदमाशों ने उसका दायां हाथ भुजाली से काट दिया। इस लड़की का कसूर क्या था? यह कि वह अपने चार साल के भाई के अपहरण के मामले में अहम गवाह थी। पुलिस कुछ नहीं कर रही थी तो थक-हार कर यह लड़की अपने परिवार के साथ पटना आई थी। सरकार से फरियाद करने।
 
यह लड़की रहती है दरभंगा के लहेरियासराय के कमर्शियल चौक मुहल्ले में। पिता अबनुल अंसारी दर्जी हैं। उनके पांच बेटे और दो बेटिया हैं। 25 मई को बदमाशों ने उसके चार साल के भाई जुल्फिकार आलम का अपहरण कर लिया। जुल्फिकार को उठाते हुए उज्मा आरा ने देख लिया था। 
 
पुलिस को उसने उन लोगों के नाम भी बता दिये। पर स्थानीय पुलिस कुछ भी नहीं कर सकी। एसपी से लेकर आईजी तक को यह बात बतायी गयी। लेकिन अधिकारी कहते: हमने थाने को कह दिया है। थाना मुजरिमों के साथ खड़ा था।
 उज्मा आरा के भाई अरबाज आलम ने कहा: आखिर हम किस पर ऐतबार करते? पुलिस ने कोई काम नहीं किया। उधर बदमाशों ने धमकी दी कि दो लाख नहीं देने पर जुल्फिकार को मार दिया जाएगा। जैसे-तैसे हमने दो लाख का इंतजाम किया। वह पैसा लेने के बाद उनका डिमांड बढ़ गया। एक लाख और मांगने लगे। थक-हारकर हमलोगों ने तय किया कि अब पटना चलते हैं।

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