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24 जून 2013

हाँ मेने नहीं लिखा उत्तराखंड त्रासदी पर .....हां हा हां यह सच है और सच है


 दोस्तों माफ़ी चाहता हूँ ..इन दिनों मेने लिखा और  कुछ लिखा किसी को पसंद आया किसी ने नापसंद किया ..कोई गुस्से हुआ तो किसी ने झल्ला कर गुस्से में सलाह दी के उत्तराखंड त्रासदी पर क्यूँ नहीं लिखते ...दोस्तों मेरे लिखने पर मुझे शाबाशी  वाले भी मेरे भाई है ..मेरा उत्साहवर्धन करने वाले भी मेरे भाई है और मेरी आलोचना कर मुझ पर गुस्से होकर उत्तराखंड त्रासदी पर लिखने की सलाह देने वाले भी मेरे भाई है मेरे सभी  भाइयों को सलाम ..मुझ पर गुस्सा होने वाले मेरे भाइयों को मुबारकबाद के मुझे यह पोस्ट लिखने के लियें उन्होंने प्रेरित किया ..दोस्तों उत्तराखंड का दुःख ..संवेदना सभी के साथ है ..उत्तराखंड में प्रबंध का खून हुआ ..सरकारी मेनेजमेंट का खून हुआ ..सरकार की मानवता और राजधर्म का खून हुआ ..मेने  से लेकर आज तक इस मामले में बहुत कुछ लिखा सबसे पहले मेने दुर्घटना के बारे में  चाहने के लियें आपात नम्बर  फिर त्रासदी की भयावह हालातों को लिखा ..फिर राहत कार्यों में ढिलाई के बात की ..आपदा प्रबन्धन कानून और सरकार की लापरवाही पर लिखा ...मेने देश के जवानो द्वारा बूढ़े और बच्चों को बचाने की तस्वीरों के साथ उनको शाबाशी लिखी लेकिन अफ़सोस मेरे दोस्तों को वोह नहीं दिखा ..................में कभी माहोल को हल्का करने के लियें शायरी की बात की तो कभी खबरों का रुख बदल कर माहोल को बदलने की कोशिश की लेकिन इलज़ाम तो इलज़ाम है मेरे दोस्तों का गुस्सा जायज़ है ....लेकिन जरा मुझे बताये में इससे ज्यादा जो लिख चूका था इस त्रासदी पर क्या लिखता ..क्या में इश्वर ने जो तबाही मचाई उस इश्वर के खिलाफ लिखता ..क्या देश के आपदा प्रबन्धन की सरकार आपदा मंत्रालय और आपदा समितियों के नाम पर अरबों का घोटाला कर रही है उस पर लिखता ..क्या त्रासदी के वक्त जश्न मनाने और सेर तफरीह करने के लियें जाने की कोशिश में जुटे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के जज्बातों के बारे में लिखता ..क्या हमारे राजस्थान के मुख्यमंत्री पुरे उत्तराखंड को केवल दो करोड़ रूपये की सहायता दे रहे है यह बेशर्मी की बात लिखता ....क्या हमारे मुख्यमंत्री इतने दिनों में भी राजस्थानियों को नहीं बचा पा रहे है और गुजरात के  मोदी अपने लोगों को डंके की चोट पर बचा कर लगाये इसके लियें लिखता ..क्या में लिखता के उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को बदल दो ..इश्वर खुद भगवान ने उसके घर आने वालों को तबाह किया इसलियें उसे मानना छोड़ दो ..क्या में लिखता के केंद्र सरकार निखट्टू है वोह इस मामले में न तो पूर्व त्य्यारियों के तहत कुछ लिख स्की है ना ही मोसम विभाग का मेनेजमेंट और अग्रिम वैज्ञानिक जानकारियों के लियें नए उपकरण खरीद सखी है क्या में यह लिखता ....क्या में यह लिखता के हमारे नो जवान जो रेस्क्यू के लियें उत्तराखंड जाना चाहते है उन्हें इसकी इजाजत नहीं मिल रही है .क्या में यह लिखता के वहन लाशों का तांडव है सिर्फ और सिर्फ आम आदमी ही मरा है कोई भी नेता कोई भी मंत्री कोई बढ़ा अधिकारी इस त्रासदी की चपेट में नहीं आया है ...क्या में लिखता के मोदी जी की मनहूस यात्रा को लेकर यह सब दुखान्तिका खुदा ने क्रोध में की है ..क्या में लिखता के मरने वाला न हिन्दू था न मुसलमान ना सिक्ख था न इसाई वोह तो केवल और केवल इंसान था ..क्या में लिखता के वहा राहत कार्यों के नाम पर इंसान शेतान हो गया है ..लाशों को लूटा जा रहा है साधू संत नोटों की बोरियां भर कर ले जाते पकड़े जा रहे है .क्या में लिखता नेतागिरी सिर्फ नेतागिरी कर रहे है लेकिन हमारे देश के जवान ..............समप्रित अधिकारी और कर्मचारी जाना की बाज़ी लगाकर लोगों की जान बचाने के काम में जुटे है .....क्या में लिखता के वहां पुनर्वास कार्य धीमी गति से चल रहे है क्या में लिखता के केंद्र सरकार वहां आज भी संवेदनशील नहीं है और गुजरात के भुख्म्प के बाद गुजरात को खड़ा करने वाले मोदी मेनेजमेंट  की तरह उत्तराखंड को भी पुनर्वासित कर फिर से खड़ा किया जाए ..लोगो की आस्थाओं को फिर मरम्मत की जाए फिर से लोगों की आस्थाओं के म्न्दरी पुनर्निर्माण किये जाए .....क्या में लिखता के त्रासदी हो चुकी है और क्रिकेट क्यूँ  खेला जा रहा है ..कवि सम्मेलन ..मुशायरे क्यूँ हो रहे है ..सरकारी कार्यक्रम क्यूँ हो रहे है सरकारें क्यूँ चल रही है लोग साँस थाम कर ////खामोश गूंगे बनकर क्यूँ नहीं बेठे है ..हा दोस्तों में नहीं लिख सका यह सब बाते ..मुझे नहीं लिखना यह सच ..मुझे नहीं देखना ऐसा सपना जो हमारे सरकार हमरे नेता पूरा न कर सकें ......दोस्तों त्रासदी और पुनर्वास कार्यक्रम का सच आप जानते है में जानता हूँ दुनिया जानती है फिर लिखने से नहीं लोगों को जागरूक करने लोगों को इस मामले में जगाने से ही कुछ हो सकेगा ...शायद अब मेरे उन आलोचक मित्रों ने जो मुझे बार बार त्रासदी पर लिखें के लियें उत्प्रेरित कर रहे है वोह समझ गए होंगे के मेने क्यूँ त्रासदी पर नहीं लिखा में चुप क्यूँ हो में खामोश क्यूँ हूँ अभी मेरे पास सिर्फ और सिर्फ अफ़सोस करने .....म्रत्तात्माओ की आत्मा को शांति मिले इसकी दुआ करने ..जो लोग पीड़ित है उन्हें पुनर्वासित करने और भविष्य में फिर से केदारनाथ और वहा की आस्थाए वहां के लोग खड़े हो लोगों को आकर्षित करे और सुखद अहसास दे इसकी प्रार्थना और इस मामले में कामयाबी की कोशिश करने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं है ......................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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