आपका-अख्तर खान

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09 मई 2013

वो बोलता बहुत है


वो बोलता बहुत है
पर दिल की कुछ कहता नहीं
सबसे बात कर लेगा पर
मेरे आगे जुबान खोलता नहीं
चाह कर भी मौन अपना
तोड़ नहीं पाता ..ना जाने क्यूँ
कुछ कहते कहते चुप हो जाना
कुछ लिखते लिखते रुक जाना
कभी सामने बैठ घंटों चुप बिता जाना
कभी कुछ कहने के लिए उकसाना
उसकी हर बात समझ आती है मुझे
पर वह खुद कुछ नहीं कहता
वह बोलता बहुत है पर
उसका मौन कभी नहीं टूटता
कभी राजनीति पर चर्चा तो
कभी किसी नेता पर शब्दों का बेमतलब खर्चा
कभी सामाजिक बातें तो कभी कैसे गुजरीं तनहा रातें
सब कह जाता है पर उसका मौन नहीं टूटता
चींख चींख कर अपना दर्द बयाँ करता है
क्या उसकी चींख पहुँच जाती है वहां तक
जहाँ वह पहुंचाना चाहता है
शायद हाँ ...ओह सचमुच हाँ
यह उसका मौन ही तो है जो
सब कुछ बयाँ कर जाता है
बिन कानो तक पहुंचे भी दिल तक पहुँच जाता है
हाँ मैं कह सकती हूँ
उसका मौन बिन कहे भी उसके दिल की हर बात
उसके हालात बयाँ कर जाता है
उसका मौन ही उसकी असल जुबान है
उसके बिन कहे उसकी हर बात पहुँच जाती है मुझ तक
आखिर तुमने बिन कहे ही
अपनी हर बात को मुझ तक पहुंचा ही दिया ना
कभी कुछ ना कहना बस मौन ही रहना
क्योंकि मैं समझ जाती हूँ हर बात
और डर जाती हूँ यह सोचकर
की जब तुम बोलोगे तो क्या होगा ........अंजना

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