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06 मई 2013

यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारतः

यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारतः

सबने इसे न ज्जाने कितने बार सुना होगा
न जाने कितनी बार इससे प्रेरित हुए होंगे, हर्षित हुए होंगे
पर यह वाक्य श्लोक बड़ा रहस्मय है व् इसे समझना पुरे भारत वर्ष के लिए अत्यंत आवश्यक है क्यू के भक्ति मर्गियो ने ईश्वर का वो अज्ञान फैला के रखा है, चाहे अज्ञान से या लोभ से, के यह श्लोक भारत की दुर्दशा का सबसे बड़ा कारन बन गया है।लोग हर हाल में यह ही सोच के बैठे है के कोई अवतार फिर से आएगा व् चमत्कारों से दुर्जनों का नाश करेगा।कृष्ण भी मानव ही थे ज्ञान से परमात्मा बने व् उसी ज्ञान में यह श्लोक छिपा हुआ है।ईश्वर उर्जा है व् इसे ज्ञान,विज्ञानं से जाना जाता है व् यह उर्जा का नियम है के जब समाज में समाज के अधिकतम लोगो द्वारा ही भरी पाप की उर्जा बढ़ जाती ही तो अपने आप समाज में चीत्कार उठती है उस उर्जा के विरोध की व् उस पाप व् उन बड़े पापिओ से मुक्ति की।तब कोई सच्चा मानव,ज्ञानी ,योगी हिम्मत करता है उस उर्जा के विरुद्ध आने की क्यू के बाकी अधिकतम पापी ही है ,और फिर वह योगी,शुद्ध मानव उन सबका तारनहार बन जाता है।यह स्वतः है अतः हमे उस मानव ,योगी को पहचानना होगा जो उस काल उस युग में इस गन्दी उर्जा के विरोध में खड़ा है व् उसकी शक्ति बनना होगा, क्यू के कोई भी युग हो ये दुर्जन बड़े शक्तिशाली होते है व् यह शुद्ध व्यक्ति मानव ही होता है बस इसका ज्ञान इसे कर्मयोगी बना देता है।
वो कृष्ण के चमत्कार भूल जाओ ये भक्ति मार्गी अपनी दूकान चलाने को तिल का ताड़ बना के पेश करते है।ये सारे चमत्कार उस दिव्य मानव के जाने की बाद ही उससे जुड़ते है।अपने चित्त पे पड़े ये विकृत संस्कार मिटा दो,कृष्णा योगी थे व् जिसको पूर्ण ज्ञान होता है वो सबसे बड़ा कर्मयोगी बनता ही है ,व् योगी परमात्मा ही होता है पर लोग उसमे कोई चमत्कार आदि कुछ नही होता।उसके सत्य कि शक्ति से लोग उससे जुड़ते जाते है व् वो दुर्जनों का विनाश करता है।
पर यह श्लोक आज भी करोडो भारतीयों के चित्त में एक मेल जैसे जमा हुआ है के कोई भगवान आएगा अवतार लेगा व् जोर से घंटी बजेगी तब उसकी आराधना करेंगे व् वो ही सब करेगा हम तमाशा देखेंगे।इस श्लोक ने युगों से लोगो को अधर्म के विरुद्ध एक जुट न होने का लाइसेंस सा दे रखा है व् लोग जुल्म सहते है व् आस करते है के वो आएगा पर विरोध में नही आते।
कर्मयोगी बाबा रामदेव आज हमारे बीच है उन्हें पहचानो व् शक्ति बनो - यह श्लोक उर्जा सिद्धांत पे है व् शाश्वत है पर सही समय पे सही व्यक्ति को स्वयं ही पहचानना होगा। परमात्मा उर्जा है व् इसके अध्धयन में यह निहित है।भारत में अज्ञान मिटाने हेतु साझा करें। ॐ शांति




बाद में जोड़ा ......


मैं भी स्वाभिमान का समर्थक हु व् कर्मयोगी बाबा का भक्त हु
पर आओ कुछ समझे
(यदि आपको विज्ञान व् आध्यात्म पता है तो बाबा परमात्मा है)
पर थोडा अलग से समझो
4 जून 2012 .....बाबा क्रन्तिकारी है 20 फुट ऊँचे मंच से कूद गत वर्ष दुश्मन से अपने को देश लिए बचाया
4 जून 2112 ......बाबा ने 60 फुट ऊँचे मंच से कूद पोलिस को मारा
4 जून 2512 .......बाबा योग शक्ति से लम्बी दूरी की छलांग भी लगा लेते थे व् मच से उड़ते हुए दुश्मन को मारा
4 जून 3512........भगवान को उड़ना बचपन से ही आता था

यह मिलावट भक्ति व् अनेको अपने अज्ञान से स्वयं ही आ जाती है।जैसे आज भी लोग समझते है के कुंदिली जाग्रत हुई तो न जाने कहाँ उदा कूदा डोलेगा मानव कई लोग इसके लिए भी पूछते है मुझसे कहते है शक्तिपात कर दो।चित्त की शुद्धि व् परमेश्वर का पूर्ण ज्ञान ये कुंडली जाग्रत करता है व् सतत जाग्रत सी ही होती है व् वह ज्ञान से परमात्मा हो जाता है पर शरीर शक्तिया मानवीय ही रहती हैं।थोडा सा प्राणायाम करते ही कुंडली पुनह सक्रीय हो जाती है व् अंगो व् मष्तिष्क का रासानिक असंतुलन तुरंत मिट जाता है।क्यू के चित ईश्वर हो चूका है।पर लोग ये ही समझते है के कुंडली जगी तो तूफ़ान मचा दूंगा।ऐसे ही अनेको लोभ(भक्त फ़साने को ) व् अज्ञान से किसी योगी में हम अपनी और से न जाने क्या क्या जोड़ते जाते है व् यह यदा यदा ही धर्मस्य उसी विज्ञान में घुसा हुआ अज्ञान का कला बादल पुरे भारत में छाया है।गीता को विज्ञान सामने रखके पढो व् लोगो में सही सन्देश दो - पाप की अति होते ही कोई न कोई अतिशुद्ध आगे आता है बस उसकी शक्ति बन जाओ वो भगवान व् उससे जुड़ने से आपके समाज का पाप नष्ट।

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