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07 मई 2013

यह केसा कोचिंग व्यवसाय है जिसने कोटा को जंगल और इंसानियत को जानवर बना दिया है

राजस्थान की शिक्षा नगरी कोटा पत्थर की हो गयी है यहाँ एक कोचिंग करियर पॉइंट की बेशर्मी बेहयाई देखिये के कल एक नाकाम लड़की की लाश आत्महत्या के बाद कमरे में पढ़ी रही और यह कोचिंग संस्था के लोग जे इ इ का परीक्षा परिणाम आने के बाद खुद की सफलता पर लाश पर जश्न मनाते रहे सोचता हूँ हजारों हजार को डोक्टर ..... इंजिनियर और कई सफल पदों पर पहुँचने वाला यह कोटा जहां संवेदनाएं थी ..शर्म थी  हया ही वफादारी थी इन कोचिंग लुटेरों के कारण  कितना असंवेदनशील हो गया है ...यहाँ कामयाब लोगों के लियें तो जश्न हैलेकिन नाकामयाबी के बाद खुद को मोत के घाट उतार देने वाले शिक्षार्थियों के लियें कोई संवेदना नहीं है ..एक परिवार ने पढाई के बोझ तले दबी कोचिंग प्रणाली असफल होने के बाद अपनी होनहार बच्ची खो दी और कोचिंग संस्था के चेहरे पर सिलवटे नहीं सहानुभूति नहीं सिर्फ कामयाब लोगों का जश्न ही उनका भाव कामयाब लोगों से खुद की कमाई की चिंता उनका प्रमुख जश्न रहा कल जे ई इ के परिणाम के बाद कोटा की कोचिंग की छात्रा आयुषी तिवारी डिप्रेशन में आ गयी और उसने फांसी लगा ली लेकिन कोटा शहर कोटा के कोचिंग संचालकों को इस नाकाम लडकी और उसके पीड़ित परिजनों से कोई संवेदना नहीं कामयाबी है तो हमारी और नाकामयाबी है तो बच्चे की यह केसा कोचिंग व्यवसाय है जिसने कोटा को जंगल और इंसानियत को जानवर बना दिया है ....अख्तर खान अकेला कोटा रजस्थान 

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