सुप्रीम
कोर्ट ने गलती करने वाले वकीलों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने को लेकर 12
मई को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (Bar Council of India) पर सवाल उठाया। कोर्ट
ने कहा कि काउंसिल प्रभावहीन हो गई है और अदालतें ऐसे वकीलों के कारण कष्ट
उठा रही हैं।
न्यायमूर्ति बीएस चौहान और दीपक मिश्र की पीठ ने कहा कि बार काउंसिल प्रभावहीन हो गई है। भूल करने वाले वकीलों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती, हमें कष्ट झेलना पड़ता है। हम लोग वास्तव में कष्ट उठा रहे हैं और वकील पैसे बना रहे हैं।’
पीठ ने यह टिप्पणी मुंबई के एक व्यवसायी की
जमानत याचिका पर सुनवाई से इन्कार करते हुए की। वह व्यवसायी तब भी सुप्रीम
कोर्ट चला आया था जबकि उसके वकील ने पहले ही याचिका वापस ले ली थी। पीठ ने
कहा कि याचिकाकर्ता बार कॉउंसिल या पुलिस के पास उस वकील के खिलाफ अपनी
शिकायत दर्ज करा सकता है जिसने उसकी याचिका वापस ले ली।
पीठ ने कहा कि वकील सोचते हैं कि वे कानून के ऊपर
हैं। हम इस तरह के हालात का हर दिन सामना कर रहे हैं। यह मात्र अग्रिम
जमानत की याचिका है। सबसे पहले उसे समर्पण करने दें। वकील को पहले हमारे
पास पेश होने दें।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया पेशेवर वकीलों की नियामक संस्था है। यह वकीलों के पेशेवर मानदंड और देश में कानून की शिक्षा के लिए नियम बनाती है।
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