आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

18 मई 2013

महोब्बत का कभी इजहार कर दे


महोब्बत का कभी इजहार कर दे
उजड़ा हूँ मुझे आबाद कर दे

हमें तौफीक दे अच्छे हाल की
हमें फिर साहिबे किरदार कर दे

तड़प ऐसी बुलंदी की नहीं है
जो अपनो से मुझे बेज़ार कर दे

शिकारी जाल फैलाये हुए हैं
परिंदों को कोई होशियार कर दे

ना देखे जायेंगे अश्के-निदामत
किसी की जीत मेरी हार कर दे

कोई नगमा कहो ऐसा भी जाना
जो सोई कॉम को होशियार कर दे......

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...