भास्कर ने 6 सितंबर 2012 को 'पूरे गांव को चट कर रही दीमक' शीर्षक से इस गंभीर समस्या को उठाया था। इसके बाद तत्कालीन कलेक्टर जीएल गुप्ता ने एग्रीकल्चर विभाग की एक टीम भी गांव भेजी थी। लेकिन उनके सेवानिवृत्त हो जाने के बाद मामला आया-गया हो गया। गांव के अमरलाल ने बताया कि इनकी वजह से अब तक 30 से अधिक मकान गिर चुके हैं। कमलेश का कहना है कि यहां पैदा होने वाले अनाज के मंडी में खरीददार तक नहीं मिल रहे, अब तो लोग हमारे यहां रिश्ता करने से भी कतरा रहे हैं।
इस बाबत सरपंच भूली बाई का कहना है कि प्रशासन के अधिकारी आकर समस्या देख चुके हैं। लेकिन, वे अभी तक कुछ नहीं कर सके। ग्रामसेवक जगदीश राठौर ने कहा 'कृषि विभाग के अधिकारियों ने 24 सितंबर 2012 को दौरा किया था। मैंने भी अधिकारियों को लिखकर दे रखा है। इससे ज्यादा मैं कुछ नहीं कर सकता।'
'झाडग़ांव की झोपडिय़ां' गांव में दीमक ओडोन्टोटर्मिस का हमला इतना तेज है कि अब वह बर्फ की तरह छत से टपक रही है।
पूर्व कलेक्टर द्वारा कराए गए सर्वे की रिपोर्ट देखूंगा
गांव में दीमक लगने के बारे में मुझे अभी तक कोई जानकारी नहीं मिली है। अब मैं पूर्व कलेक्टर द्वारा कराए गए सर्वे रिपोर्ट की फाइल को देखूंगा। गांव को दीमक से निजात दिलाने के लिए बेहतर प्रयास किया जाएगा। - जोगाराम, कलेक्टर कोटा
दीमक की सूचना पर कृषि विभाग की टीम को वहां भेजकर उपाय बताने को कहा था। वैसे दीमक समाप्त करने के लिए गांव के लोग भी ज्यादा रूचि नहीं ले रहे। टीम ने वहां क्या किया, क्या रिपोर्ट दी, इसके बारे में मुझे पता नहीं।
- जीएल गुप्ता, पूर्व कलेक्टर
अभी तक किसी ने गांव के हालात मुझे नहीं बताएं हैं। गांव के बारे में पता करवाऊंगा। देखा जाएगा कि दीमक किस हद तक नुकसान पहुंचा रही है। उसके अनुसार ही आवश्यक उपाय किए जाएंगे।
- इज्यराज सिंह, सांसद, कोटा
सवाल- पिछले 8 माह की मशक्कत में स्थानीय प्रशासन ने जो उपाय खोजा है उसका भार भी वे ग्रामीणों पर डालना चाहते हैं। उधर, गांव वाले पहले ही बहुत सी परेशानी दीमक की वजह से झेल रहे हैं। क्या सरकार इस प्राकृतिक हमले से निपटने का खर्चा भी नहीं उठा सकती?
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