डुबो देगा दरिया किनारे किनारे
वही आदमी है जो हिम्मत न हारे
फलक पर चमकने का ज़र्रों को अरमां
तरसते है ख़ाक ए ज़मीं को सितारे
हमें क्या ग़रज़ दौलते आसमां से
ज़मीं पे जो चमकें वो मेरे हैं तारे
गदाई अमीरी नसीब अपना अपना
उसी के है ज़र्रे उसी के सितारे
वो कश्ती कि जिससे लरज़ते थे तूफां
चली जा रही है किनारे
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