छितिज़ तक तेरी बात होती है
तुम्हारे जगने पर प्रात होती है
तुम्हारे सोने पर रात होती है
मुस्कराती हो जब उर्वशी की तरह
तब छितिज़ तक तेरी बात होती है
शरद झोके पवन के भले ही चले
चाहे बागों में सावन के झूले डले
डाल पर चाहे चातक तडफता रहे
मस्त हो चाहे बादल गरजता रहे
तेरी आंखे अगर झिलमिलाने लगें
अपने अश्कों से आँचल भिगाने लगें
तभी समझो की बरसात होती है
कलिया चाहे खिले फूल महका करे
हर झुकी डाल पर चिड़ियाँ चहका करे
तितलियाँ सप्तरंगी छटा ओड़ लें
भवरें चाहे ग़ज़ल गुनगुनाते रहें
तेरे चेहरे का रंग जब निखरने लगे
तेरे अधरों पर लाली मचलने लगे
हर ऋतू तब मधुमास होती है
छितिज़ तक तेरी बात होती है
तुम्हारे जगने पर प्रात होती है
तुम्हारे सोने पर रात होती है
मुस्कराती हो जब उर्वशी की तरह
तब छितिज़ तक तेरी बात होती है
शरद झोके पवन के भले ही चले
चाहे बागों में सावन के झूले डले
डाल पर चाहे चातक तडफता रहे
मस्त हो चाहे बादल गरजता रहे
तेरी आंखे अगर झिलमिलाने लगें
अपने अश्कों से आँचल भिगाने लगें
तभी समझो की बरसात होती है
कलिया चाहे खिले फूल महका करे
हर झुकी डाल पर चिड़ियाँ चहका करे
तितलियाँ सप्तरंगी छटा ओड़ लें
भवरें चाहे ग़ज़ल गुनगुनाते रहें
तेरे चेहरे का रंग जब निखरने लगे
तेरे अधरों पर लाली मचलने लगे
हर ऋतू तब मधुमास होती है
तुम्हारे जगने पर प्रात होती है
तुम्हारे सोने पर रात होती है
मुस्कराती हो जब उर्वशी की तरह
तब छितिज़ तक तेरी बात होती है
शरद झोके पवन के भले ही चले
चाहे बागों में सावन के झूले डले
डाल पर चाहे चातक तडफता रहे
मस्त हो चाहे बादल गरजता रहे
तेरी आंखे अगर झिलमिलाने लगें
अपने अश्कों से आँचल भिगाने लगें
तभी समझो की बरसात होती है
कलिया चाहे खिले फूल महका करे
हर झुकी डाल पर चिड़ियाँ चहका करे
तितलियाँ सप्तरंगी छटा ओड़ लें
भवरें चाहे ग़ज़ल गुनगुनाते रहें
तेरे चेहरे का रंग जब निखरने लगे
तेरे अधरों पर लाली मचलने लगे
हर ऋतू तब मधुमास होती है
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)