आपका-अख्तर खान

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17 अप्रैल 2013

जिन्दगी की राह म चलते चलो, चलो,

जिन्दगी की राह म चलते चलो, चलो,
मिले चाहे शोले या फिर कांटे बढ़ते चलो, बढ़ते चलो ,
कंही तो फूल नज़र आएगा ही ,
चाहे शामतक मुरझा ही क्यों न जाए ,
हँसते चलो, हँसते चलो,
आंधी आये या तूफ़ान ,चाहे जीवन म हो घम्मासान ,
लड़ते चलो ,लड़ते चलो,
चाहे धोका कपट और छल ,न मिले जब मुश्किलों का हल ,
सहते चलो, सहते चलो,
चाहे गरीबी भूक मरी हो, दुखों से भरी हर घडी हो,
निकलते चलो, निकलते चलो,
चाहे लहरें हो भयानक ,नदी का हो बहाव अचानक,
बहते चलो,बहते चलो,
न रुकना कभी न झुकना कभी,बीएस चलते चलो ,चलते चलो,
जिन्दगी की राह म चलते चलो चलते चलो ||

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