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17 अप्रैल 2013

तुलसी की महिमा



जो मनुष्य तुलसी के पत्र और पुष्प आदि से युक्त माला धारण करता है, उसको भी विष्णु ही समझना चाहिये। आँवले का वृक्ष लगाकर मनुष्य विष्णु के समान हो जाता है। आँवले के चारों ओर साढे तीन सौ हाथ की भूमि को कुरुक्षेत्र जानना चाहिये। तुलसी की लकड़ी के रुद्राक्ष के समान दाने बनाकर उनके द्वारा तैयार की हुई माला कण्ठ में धारण करके भगवान का पूजन आरम्भ करना चाहिये। भगवान को चढ़ायी हुई तुलसी की माला मस्तक पर धारण करे तथा भगवान को अर्पण किये हुए चन्दन के द्वारा अपने अंगों पर भगवान का नाम लिखे। यदि तुलसी के काष्ठ की बनी हुई मालाओं से अलकृंत होकर मनुष्य देवताओं और पितरों के पूजनादि कार्य करे तो वह कोटिगुना फल देनेवाला होता है। जो मनुष्य तुलसी के काष्ठ की बनी हुई माला भगवान विष्णु को अर्पित करके पुन: प्रसाद रूप से उसको भक्ति पूर्वक धारण करता है, उसके पातक नष्ट हो जाते हैं। पाद्य आदि उपचारों से तुलसी की पूजा करके इस मन्त्र का उच्चारण करे- जो दर्शन करने पर सारे पापसमुदाय का नाश कर देती है, स्पर्श करने पर शरीर को पवित्र बनाती है, प्रणाम करने पर रोगों का निवारण करती है, जल से सींचने पर यमराज को भी भय पहुँचाती है, आरोपित करने पर भगवान श्रीकृष्ण के समीप ले जाती है और भगवान के चरणों में चढ़ाने पर मोक्ष रूपी फल प्रदान करती है, उस तुलसी देवी को नमस्कार है।
तुलसी को देवी का रूप माना जाता है तुलसी घर के आंगन में लगाने की प्रथा हजारों साल पुरानी है।अधिकांश हिंदू घरों में तुलसी का पौधा अवश्य ही होता है। तुलसी घर के आंगन में लगाने की प्रथा हजारों साल पुरानी है। तुलसी को देवी का रूप माना जाता है। साथ ही मान्यता है कि तुलसी का पौधा घर में होने से घर वालों को बुरी नजर प्रभावित नहीं कर पाती और अन्य बुराइयां भी घर और घरवालों से दूर ही रहती है।
तुलसी का पौधा होने से घर का वातावरण पूरी तरह पवित्र और कीटाणुओं से मुक्त रहता है। कभी-कभी किसी कारण से यह पौध सूख भी जाता है ऐसे में इसे घर में नहीं रखना चाहिए बल्कि इसे किसी पवित्र नदी में प्रवाहित करके दूसरा तुलसी का पौधा लगा लेना चाहिए। सुखा हुआ तुलसी का पौधा घर में रखना कई परिस्थितियों में अशुभ माना जाता है। इससे विपरित परिणाम भी प्राप्त हो सकते हैं। घर की बरकत पर बुरा असर पड़ सकता है। इसी वजह से घर में हमेशा पूरी तरह स्वस्थ तुलसी का पौधा ही लगाया जाना चाहिए।
तुलसी का धार्मिक महत्व तो है ही लेकिन विज्ञान के दृष्टिकोण से तुलसी एक औषधि है। आयुर्वेद में तुलसी को संजीवनी बुटि के समान माना जाता है। तुलसी में कई ऐसे गुण होते हैं जो बड़ी-बड़ी जटिल बीमारियों को दूर करने और उनकी रोकथाम करने में सहायक है। तुलसी का पौधा घर में रहने से उसकी सुगंध वातावरण को पवित्र बनाती है और हवा में मौजूद बीमारी के बैक्टेरिया आदि को नष्ट कर देती है। तुलसी की सुंगध हमें श्वास संबंधी कई रोगों से बचाती है। साथ ही तुलसी की एक पत्ती रोज सेवन करने से हमें कभी बुखार नहीं आएगा और इस तरह के सभी रोग हमसे सदा दूर रहते हैं। तुलसी की पत्ती खाने से हमारे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता काफी बढ़ जाती है।
तुलसी नमस्कार मंत्र
वृन्दायै तुलसीदेव्यै प्रियायै केशवस्य च |विष्णुभक्तिप्रदे देव्यै सत्यवत्यै नमो नमः
तुलसी स्नान मन्त्र
गोविन्दवल्ल्भां देवीं भक्तचैतन्यकारिणीम् |स्नापयामि जगद्धात्रीं विष्णुभक्तिप्रदायिनीम्
तुलसी उतारने का मन्त्र
तुलस्यमृतजन्मासि सदा त्वं केशवप्रिया |
केशवार्थं चिनोमि त्वां वरदा भव शोभने
ठाकुरजी को तुलसी चढाने का मंत्र
तुलसीं हेमारूपां च रत्नरूपां च मंजरीम् | राधासर्वेश्वरायैतामर्पयामि हरिप्रियाम

गले में तुलसी की माला धारण करने से जीवनशक्ति बढ़ती है, बहुत से रोगों से मुक्ति मिलती है। तुलसी की माला पर भगवन्नाम-जप करना कल्याणकारी है।
मृत्यु के समय मृतक के मुख में तुलसी के पत्तों का जल डालने से वह सम्पूर्ण पापों से मुक्त होकर भगवान विष्णु के लोक में जाता है।
(ब्रह्मवैवर्त पुराण, प्रकृति खंडः २१ .४२ )
तुलसी के पत्ते सूर्योदय के पश्चात ही तोड़ें। दूध में तुलसी के पत्ते नहीं डालने चाहिए तथा दूध के साथ खाने भी नहीं चाहिए।
घर की किसी भी दिशा में तुलसी का पौधा लगाना शुभ व आरोग्यरक्षक है।
पूर्णिमा, अमावस्या, द्वादशी और सूर्य-सक्रान्ति के दिन, मध्याह्नकाल, रात्रि, दोनों संध्याओं के समय और अशौच के समय, तेल लगा के, नहाये धोये बिना जो मनुष्य तुलसी का पत्ता तोड़ता है, वह मानो भगवान श्रीहरि का मस्तक छेदन करता है।
(ब्रह्मवैवर्त पुराण, प्रकृति खंडः २१ .५० .५१ )
रोज सुबह खाली पेट तुलसी के पाँच-सात पत्ते खूब चबाकर खायें और ऊपर से ताँबे के बर्तन में रात का रखा एक गिलास पानी पियें। इस प्रयोग से बहुत लाभ होता है। यह ध्यान रखें कि तुलसी के पत्तों के कण दाँतों के बीच न रह जायें।
बासी फूल और बासी जल पूजा के लिए वर्जित है परंतु तुलसी दल और गंगाजल बासी होने पर भी वर्जित नहीं है।
(स्कंद पुराण, वै.खंड, मा.मा. ८ .९ )
फ्रेंच डॉक्टर विक्टर रेसीन ने कहा हैः 'तुलसी एक अद्‍भुत औषधि है, जो ब्लडप्रेशर व पाचनतंत्र के नियमन, रक्तकणों की वृद्धि एवं मानसिक रोगों में अत्यन्त लाभकारी है। मलेरिया तथा अन्य प्रकार के बुखारों में तुलसी अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुई है।'
तुलसी ब्रह्मचर्य की रक्षा में एवं यादशक्ति बढ़ाने में भी अनुपम सहायता करती है।
तुलसी बीज का लगभग एक ग्राम चूर्ण रात को पानी में भिगोकर सुबह खाली पेट लेने से वीर्यरक्षण में बहुत-बहुत मदद मिलती है।

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