दोस्तों प्रति दिन एक नया दिवस बनाने वाले इस विश्व में और खासकर भारत में आज पुरुष दिवस मनाया रहा है लेकिन जिस तरह से देश के हालत है चीन देश की सीमा में घुसा है ..पाकिस्तान सरबजीत को मार रहा है ..गुपचुप आतंकवादी घुसपेठ कर रहा है ..सरकार में बेठे मंत्री खुली चोरी कर रहे है ..सडकों पर बहन बेटियों के साथ रोज़ नियमित बलात्कार की घटनाएँ हो रही है ...घरों में पत्नियों को दहेज़ की मांग को लेकर तो शराब पीकर पीटा जा रहा है देश की सीमाएं सुरक्षित नहीं है हम कमजोर होकर आत्महत्याएं कर रहे है तो क्या इस पुरुषार्थ दिवस की आज कोई प्रासंगिकता है या नहीं बताइए प्लीज़ ..अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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