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21 अप्रैल 2013

ये है हिन्दुस्तान का बेहद अनोखा स्कूल, पढ़ने वालों के बारे में जानकर आप कहेंगे 'वाह'


जोधपुर। यह पूरी कहानी ही शिक्षा के प्रति अनूठे समर्पण की है। शहर से 45 किमी दूर सालवा कलां गांव। यहां मंदिर तो है। स्कूल नहीं है। ग्रामीणों ने मंदिर में ही स्कूल संचालित कर दिया। कई बच्चों के साथ यहां उनके दादा और पिता भी बस्ता लेकर स्कूल आते हैं। सपना एक ही है। पूरे गांव को साक्षर बनाना।
 
दरअसल, यह एक शिक्षा मित्र केंद्र था। सरकार इसे बजट के अभाव में बंद कर चुकी है। ग्रामीण अब चंदे से इसे चला रहे हैं, जिसमें 50 ढाणियों के 60 बच्चे पढ़ते हैं। इन बच्चों का नामांकन यूं तो राप्रावि असारानाडा में है लेकिन स्कूल साढ़े तीन किमी दूर है। वे इसी केंद्र में पढ़ाई करते हैं। केंद्र के शिक्षक निंबाराम ने बताया कि ग्रामीणों ने कई बार शिक्षा मित्र केंद्र को प्राइमरी स्कूल में क्रमोन्नत करने की मांग की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती।
 
बाप-बेटा दोनों चौथी क्लास में 
हनुमान बेनीवाल व उनका बेटा शेखर दोनों चौथी में पढ़ रहे हैं। दूसरे बेटे दिनेश के कहने पर ही हनुमान शेखर के साथ स्कूल जाने शुरू हुए। हनुमान अब काफी पढ़ना-लिखना सीख गए हैं। हनुमान और शेखर क्लास व घर पर होमवर्क में एक-दूसरे से सवाल पूछते हैं।

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