जयपुर. हाईकोर्ट ने पुलिस आंदोलन पर कार्रवाई नहीं होने को
दुर्भाग्यपूर्ण बताया। साथ ही तत्कालीन पुलिस कमिश्नर बीएल सोनी के विदाई
लेने पर कहा कि ‘जिस भाव भंगिमा से कमिश्नर ने विदाई ली व उस दौरान उनकी
टेबल पर रखी तख्ती पर लिखा जो नोट अखबार में छपा वो आपत्तिजनक था। मामले
में पुलिस की भूमिका न्यायपालिका को अपमानजनक स्थिति में लाने की थी, कोर्ट
के आदेश की अवहेलना अपेक्षित नहीं है।’
न्यायाधीश अजय रस्तोगी व एमएन भंडारी की खंडपीठ ने यह टिप्पणी मंगलवार
को महेन्द्र शांडिल्य की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान की। अदालत ने
कहा कि राजस्थान शांत प्रदेश है और उसमें ऐसे आंदोलनों की जगह नहीं होनी
चाहिए। सरकार भी अपनी जिम्मेदारी समझे व चिंतन करे। मीडिया को भी संयम
बरतना चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि यह वकील व पुलिस को बैठकर सोचने का समय है कि कानून व
व्यवस्था कैसे बनी रहे। वकील देखें कि वकालत के गिरते स्तर के लिए कौन
जिम्मेदार है और सामाजिक स्थिति के लिए वे खुद कितने जिम्मेदार हैं, इसका
आकलन करें। वकील व पुलिस मिलकर निर्णय लें और लक्ष्मण रेखा बनाएं और उसे
दोनों ही पक्ष नहीं लांघें। अदालत ने सरकार को दिए निर्देशों की पालना
रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा। हाईकोर्ट ने 8 मार्च को मामले में राज्य
सरकार को निर्देश दिए थे और पालना रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा था।
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