आपका-अख्तर खान

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15 मार्च 2013

तुम्हारे हाथ मेरे हाथो में थे

दूर तलक जब हम सफ़र तय करते गए ...
तुम्हारे हाथ
मेरे हाथो में थे
हाथ पकडे पकडे साथ चलते गए
हाथो में पसीना आ गया था
भीग गए थे ये आपस में मिल कर
आज रात
अपने दोनों हाथ
मैं पकड़ कर सो रहा हूँ
तुम्हारे प्यार की सोंधी सी खुशबु
हाथो से आती है
ऐसे लगता है जैसे दो सौंधे से जिस्म इक बंद मुट्ठी में सो रहे हों ......

Sudarshan Diwan

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