आपका-अख्तर खान

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22 मार्च 2013

सारा सूरज नहीं

सारा सूरज नहीं, सिर्फ थोड़ी सी धूप मिले
वो भी हो पैबंद लगी- तो भी गि़ला नहीं,
आप नदी का फिक्स डिपाॅजिट अपने नाम करा लें
यों भी घाट सुखों का हमको अब तक मिला नहीं,
लेकिन सारी प्यास लिये- किसी बूँद के सिरहाने
हम जीवन के किसी मोड़ पर सो तो सकते हैं//
राजपथों पर भी ठसके से आने-जाने वालों
हम अदने से हैं ,लेकिन-खुश हो तो सकते हैं।।

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