10 मार्च, रविवार को महाशिवरात्रि का पर्व है। धर्म ग्रंथों के
अनुसार भगवान शिव अद्भुत व अविनाशी है। इनके अतिरिक्त संसार में कुछ भी
सत्य नहीं है। भगवान शिव जितने सरल है उतने ही रहस्यमय भी हैं। उनका
रहन-सहन, आवास, गण आदि सभी देवताओं से भिन्न हैं।
हमारे धर्म शास्त्रों में जहां सभी देवी-देवताओं को वस्त्राभूषणों से सुसज्जित बताया गया है वहीं भगवान शंकर को सिर्फ मृगचर्म लपेटे और भस्म लगाए बताया गया है। भस्म शिव का प्रमुख वस्त्र भी है क्योंकि शिव का पूरा शरीर ही भस्म से ढंका रहता है। संतों का भी एक मात्र वस्त्र भस्म ही है। अघोरी, संन्यासी और अन्य साधु भी अपने शरीर पर भस्म रमाते हैं। शिव का भस्म रमाने के पीछे कुछ वैज्ञानिक तथा आध्यामित्क कारण भी हैं।
भस्म की एक विशेषता होती है कि यह शरीर के रोम छिद्रों को बंद कर देती है। इसका मुख्य गुण है कि इसको शरीर पर लगाने से गर्मी में गर्मी और सर्दी में सर्दी नहीं लगती। भस्मी त्वचा संबंधी रोगों में भी दवा का काम करती है। भस्मी धारण करने वाले शिव यह संदेश भी देते हैं कि परिस्थितियों के अनुसार अपने आपको ढ़ालना मनुष्य का सबसे बड़ा गुण है।
हमारे धर्म शास्त्रों में जहां सभी देवी-देवताओं को वस्त्राभूषणों से सुसज्जित बताया गया है वहीं भगवान शंकर को सिर्फ मृगचर्म लपेटे और भस्म लगाए बताया गया है। भस्म शिव का प्रमुख वस्त्र भी है क्योंकि शिव का पूरा शरीर ही भस्म से ढंका रहता है। संतों का भी एक मात्र वस्त्र भस्म ही है। अघोरी, संन्यासी और अन्य साधु भी अपने शरीर पर भस्म रमाते हैं। शिव का भस्म रमाने के पीछे कुछ वैज्ञानिक तथा आध्यामित्क कारण भी हैं।
भस्म की एक विशेषता होती है कि यह शरीर के रोम छिद्रों को बंद कर देती है। इसका मुख्य गुण है कि इसको शरीर पर लगाने से गर्मी में गर्मी और सर्दी में सर्दी नहीं लगती। भस्मी त्वचा संबंधी रोगों में भी दवा का काम करती है। भस्मी धारण करने वाले शिव यह संदेश भी देते हैं कि परिस्थितियों के अनुसार अपने आपको ढ़ालना मनुष्य का सबसे बड़ा गुण है।
बहुत ही सार्थक और ज्ञानवर्धक प्रस्तुति,आभार अख्तर जी.
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