आपका-अख्तर खान

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15 मार्च 2013

क्यों तुम चिंतित से लगते हो,

क्यों तुम चिंतित से लगते हो, बेटी जीत दिलाएगी !
विदुषी पुत्री जिस घर जाएखुशिया उस घर आएँगी !
कर्मठ बेटी के होने से , बड़े आत्म विश्वासी गीत !
इसके पीछे चलते चलते,जग सीखेगा,जीना मीत !

जब से बेटी गोद में आई घर में रौनक आयी है !
दोनों हाथों दान किया पर कमी , कभी न आई है !
लगता नारायणी गा रहीं,अपने घर में आकर गीत !
उनके हाथ, बरसता वैभव, अक्षय होते मेरे गीत !

जब से इसने चलना सीखा घर में रौनक आई थी !
इसके आने की आहट से चेहरे, रंगत छायी थी !
स्नेही मन जहाँ रहेगी, खूब सहारा दें जगदीश !
अन्नपूर्णा जहाँ रहेगी,कष्ट न जाने मेरे गीत !

सुबह सबेरे उठते इसके चहक उठे, मेरा घर बार !
इसके जाने से ही घर में सूना सा लगता संसार !
जलतरंग सी जहाँ बजेगी,मधुर सुधा बरसाए प्रीत !
बाबुल का सम्मान बढाए, करें प्रभावित मेरे गीत

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