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02 मार्च 2013

बेबस प्यार

बेबस प्यार
कैसे कहे कि तुम मेरे लिये क्या हो,
जीवन की सफर मे हर पल प्यारा सा एक सहारा हो|
इन दो पलो की सी मुलाकातो मे,
जन्मो के अटूट बन्धन की निशानी हो|

बन्जर सी इस दिल मे,
क्यो अपने हसी की फुहार छिडकाती हो|
होना ही है हमे जुदा तो,
क्यो पल भर का बहार बन मुझे बहकाती हो|

प्यार का इजहार न कर पाना,
मेरी बेबसी तो तुम ना समझना|
फूल अगर मुर्झाया हो तो,
उसे पतझड तो ना समझना|

मेरे प्यार की हार मे ही,
शायद तुम्हारी खुशनसीबी हो|
तुम सदा खुश रहो तो मेरी हार मे ही,
अनोखी सी एक जीत महसूस होती है|

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