ग्लूकोमा के कारण चली गई थी आंखों की रोशनी
कोटात्न महावीर नगर द्वितीय में एक मैस में वेटर का काम करने वाला सुरेंद्र मीणा (19) अब दुनिया देख सकेगा। जन्म से ही उसकी दोनों आंखों में कालापानी (ग्लूकोमा) होने से उसे बहुत कम दिखाई देता था। बाद में एक आंख से पूरी तरह दिखना बंद हो गया। उसकी दोनों आंखें असामान्य हैं और हिलती रहती हैं। बचपन में ही माता-पिता का निधन हो जाने से वह पीपल्दा खुर्द गांव से मजदूरी करने यहां आ गया।
डीडी नेत्र फाउंडेशन के निदेशक डॉ. डीडी वर्मा ने बताया कि उसकी आंख का प्रेशर बढ़कर 43 तक पहुंच गया था, जिससे दिखना बंद हो गया था। एक आंख का ऑपरेशन करने के बाद प्रेशर 17 रह गया जिससे उसे साफ दिखने लगा है। लेकिन दूसरी आंख से वह नहीं देख सकेगा। उन्होंने बताया कि ऐसे रोगियों में आंख से दिमाग को जोडऩे वाली ऑप्टिक नर्व का रक्त प्रवाह कम हो जाता है, जिसे दवा या ऑपरेशन से कंट्रोल किया जाता है। यह अपने आप में दुर्लभ ऑपरेशन है।
पढ़ाई भी छूट गईत्न मजदूर माता-पिता का बचपन में ही निधन हो जाने से सुरेंद्र असहाय हो गया। आंखों से दिखना बंद हुआ तो 8वीं के बाद पढ़ाई भी छूट गई। उसके 4 भाई-बहिन हैं। वह अपनी बड़ी बहन की शादी में आर्थिक मदद करना चाहता है, इसलिए मैस पर सुबह 6 से रात 10 बजे तक नौकरी कर रहा है। उसने बताया कि अब वह दौड़-दौड़ कर काम कर सकता है।
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