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30 मार्च 2013

जहां सुलझना था मुद्दा वहां उतरे कपड़े, फिर हुआ और भी बड़ा ड्रामा



नागपुर. सीनेट बैठक मे शनिवार को सदस्यों व विद्यार्थियों के दबाव के चलते 23 मार्च से 48 परीक्षाओं की आगे बढ़ी (दूसरा चरण) समय सारिणी 12 अप्रैल को घोषित करने का निर्णय लिया गया।
बोर्ड ऑफ एक्जामिनेशन (बीओई) की बैठक में चर्चा के बाद 2 या 3 अप्रैल को इसके बारे में सूचित किया जाएगा।  साथ ही 15 अप्रैल (तीसरे चरण) से शुरू होनेवाली परीक्षाओं की तारीख जस का तस रखने का निर्णय लिया गया है। सभा के दौरान विद्यार्थियों व प्राध्यापकों की मांगों को लेकर सदस्य दो गुटों में बंटे नजर आए।
12.35 को शुरू हुई बैठक
परीक्षाओं की बढ़ी तारीखों को दोबारा जल्द से जल्द घोषित करने के लिए विद्यार्थी संगठनों ने राष्टï्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय का घेराव किया था। इस वजह से नियमित सीनेट बैठक दोपहर 12 बजे शुरू होने की बजाए दोपहर 12:35 पर शुरू हुई और 1:45 तक चर्चा चली।
सीनेट सदस्य महेन्द्र निंबार्ते ने सभा शुरू होते ही ग्रीष्मकालीन लिखित परीक्षाओं की तारीख घोषित करने पर जोर दिया। सीनेट सदस्य अधिवक्ता मनमोहन बाजपेयी, अभिजीत वंजारी, डी. के. अग्रवाल, डा. प्रमोद येवले, गुरुदास कामड़ी, समीर केने, मृत्युंजय सिंह परीक्षाओं की तारीख की घोषणा सीनेट बैठक में किए जाने के पक्ष में दिखाई दिए। सभा के बाहर विद्यार्थी व भीतर सीनेट सदस्य इस मुद्ïदे पर जोरदार हंगामा मचाए हुए थे।
बीओई के निर्णय पर सवाल
सदस्यों ने बीओई की दो बैठकों में लिए गए निर्णयों पर सवाल उठाए। साथ ही परीक्षा नियंत्रक डा. विलास रामटेके से 19 मार्च को मुंबई की बैठक में हुई बातचीत का ब्यौरा भी मांगा। परीक्षाओं की बढ़ी तारीखों से अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं की परेशानियों की ओर सभापति  डा. विलास सपकाल का ध्यान आकर्षित किया गया। सीनेट सदस्य के. सी. देशमुख व बबन तायवाड़े तारीख बढ़ाए जाने की सफाई देते दिखाई दिए। उन्होंने परीक्षाओं के आयोजन के लिए जरूरी मानव संसाधनों व तकनीकी खामियों का हवाला दिया।
असमंजस बरकरार
खास बात है कि प्राध्यापकों के आंदोलन की वजह से नागपुर विवि ने 23 मार्च से शुरू होनेवाली परीक्षाओं की तारीखें आगे बढ़ाई थीं। अभी तक सरकार ने प्राध्यापकों की मांगों पर सकारात्मक रुख नहीं अपनाया है और प्राध्यापक भी परीक्षा से जुड़े कार्यांे का बहिष्कार किए हुए हंै। ऐसे में इन परीक्षाओं के लिए 12 अप्रैल से नई समय सारिणी बनेगी या नहीं,  असंमजस बरकरार है। जानकारों का मानना है कि यदि प्राध्यापकों के आंदोलन के दौरान विवि नए समय सारिणी के तहत परीक्षाएं आयोजित कर सकता है, तो इसे आगे ही क्यों बढ़ाया गया? उल्लेखनीय है कि बीओई में ज्यादातर सदस्य आंदोलन में शामिल प्राध्यापक हैं। ऐसे में फैसले पर संशय बरकरार है।
गले में काला दुपट्ïटा
गले में काला दुपट्ïटा डाले कुछ सीनेट सदस्यों ने रोष जताया। संबंधित घोषणा होने तक उन्होंने इसे पहने रखा।
उठा व्यक्तिगत मुद्ïदा
बैठक में सीनेट सदस्य डी. के. अग्रवाल कॉल अटेंशन मोशन लाये, जिसे सभा अध्यक्ष डा. विलास सपकाल ने अमान्य कर दिया। श्री अग्रवाल ने सवालों के 120 पत्रों के जवाब नहीं दिए जाने का मुद्ïदा इसमें उठाया था। इस दौरान कुछ समय के लिए अध्यक्ष व सदस्य के बीच आपसी बातचीत शुरू हो गई, जिसे अन्य सदस्य नहीं समझ पा रहे थे।
श्री सपकाल का कहना था कि श्री अग्रवाल हरबार व्यक्तिगत सवाल करते हैं। उनके पत्रों की भाषा कठोर होती है। यदि उन्हें कुलगुरु के चयन के बारे में कोई जानकारी चाहिए, तो वे स्वयं उसे उपलब्ध कराएंगे। इसे लेकर करीब 15 मिनट तक दोनों में बहस हुई। इस पर डा. बबन तायवड़े बीच में आए और इस मुद्ïदे को व्यक्तिगत मुद्ïदा बताकर रोकने की मांग की।
महाविद्यालयों की स्थिति
सीनेट सभा के 108 सदस्यों में से केवल 17 सदस्यों ने सवाल किए थें, जिनमें से केवल 11 सदस्यों के सवाल ही शामिल किए गए।सीनेट सदस्य डा. प्रमोद येवले द्वारा महाविद्यालयों की स्थिति पर पूछे गए सवाल पर बताया गया कि 786 महाविद्यालय हंै, जिसमें 1 लाख 61 हजार 926 विद्यार्थी हैं। 337 महाविद्यालय में एक भी स्थायी शिक्षक नहीं है। 70 प्रतिशत महाविद्यालयों में स्थायी प्राचार्य नहीं व 40 प्रतिशत सीटें खाली हैं।

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