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11 मार्च 2013

राम सिंह की मौत ने खोली कांग्रेस में चल रही एक 'सियासत' की पोल!

नई दिल्ली. केंद्रीय गृह मंत्रालय और दिल्ली सरकार के बीच चल रही खींचतान और शीतयुद्ध सोमवार को खुलकर सामने आ गई। केंद्रीय गृह मंत्री सुशीलकुमार शिंदे ने इशारों में साफ कर दिया कि वह आए दिन शीला दीक्षित की ओर से दिल्ली पुलिस और उसकी कार्यप्रणाली पर उठाए जाने वाले सवालिया निशानों से खुश नहीं है।
उन्होंने कहा, 'अगर उन्हें कोई शिकायत है या फिर वह दिल्ली पुलिस को अपने अधीन करना चाहती हैं तो उन्हें यह लिखकर देना चाहिए।' यह पूछे जाने पर कि क्या अभी तक दिल्ली की मुख्यमंत्री की ओर से उन्हें लिखित में कोई अनुरोध नहीं मिला है, शिंदे ने कहा, 'वह कह चुके हैं कि दिल्ली सरकार को अपनी मांग लिखकर देनी चाहिए।'
असल में दिल्ली गैंगरेप या उसके बाद राजपथ पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर लाठीचार्ज का मामला हो, दिल्ली की मुख्यमंत्री लगातार पुलिस की कार्यप्रणाली को निशाना बनाते हुए दिल्ली पुलिस को अपने अधीन करने की मांग कर चुकी हैं। यही नहीं, वह विभिन्न मौकों पर दिल्ली पुलिस के कमिश्नर को हटाने की मांग भी सार्वजनिक रूप से कर चुकी हैं। उनका यह भी कहना है कि उनकी बेटी को भी दिल्ली में अकेले घर से निकलने में डर लगता है।
बेवजह नहीं बयान
अपनी ही पार्टी की मुख्यमंत्री की ओर से अपने अधीन कार्य करने वाली पुलिस को लेकर ऐसे बयानों को लेकर अब तक शिंदे चुप रहे थे। लेकिन सोमवार को उन्होंने दो टूक कहा, 'अगर उन्हें कुछ कहना है तो लिखित में दें।' कांग्रेस की राजनीति से जुड़े लोगों का कहना है कि शिंदे का यह बयान बेवजह नहीं है।
हाल के दिनों में यह अफवाह तेजी थी कि शिंदे की जगह केंद्र सरकार दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को केंद्रीय गृह मंत्री बनाने पर विचार कर रही है। इतना ही नहीं, कुछ दिन पहले यह आकलन भी किया गया कि अगर अगले चुनाव में राहुल प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं होते हैं तो उनकी जगह कौन ले सकता है।
इसमें चिदंबरम और शिंदे के साथ ही शीला दीक्षित का नाम भी लिया गया। कांगे्रस से जुड़े नेताओं का कहना है कि शिंदे इस तरह के आकलन को भी दिल्ली सरकार की ओर से हवा देने का अनुमान लगा रहे हैं। यही नहीं, जिस तरह से लगातार श्रीमति दीक्षित गृह मंत्रालय के अधीन काम करने वाली दिल्ली पुलिस पर हमले कर रही है, उसे वह इससे जोड़कर देख रहे होंगे। यही वजह है कि अंतत: उन्होंने अपने मन की पीड़ा यह खबर व्यक्त की है कि शीला सरकार उन्हें अपनी शिकायत लिखित में दें।
'अगर मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को उनसे कोई शिकायत है या फिर वह दिल्ली पुलिस को अपने अधीन करना चाहती हैं तो उन्हें यह लिखकर देना चाहिए।'
सुशील कुमार शिंदे, केंद्रीय गृह मंत्री
यौन संबंधों की उम्र 18 से 16 करने पर कांग्रेस के 90 में से 70 सांसद ही विर्रोधी   
केंद्र सरकार 16 साल के बच्चों के आपसी सहमति से यौन संबंधों को वैध करने जा रही है। गृहमंत्री सुशीलकुमार शिंदे ने  कहा कि मंगलवार को कैबिनेट में इस पर फैसला होगा। सरकार कानून में आपसी सहमति से यौन संबंध कायम करने की उम्र 18 से घटाकर 16 करना चाहती है। सरकार का कहना है कि इससे यौन अपराधों में कमी आएगी। लेकिन खुद कांग्रेस के ही अधिकांश सांसदों ने इसे बचकाना फैसला बताया है। भास्कर ने सभी दलों के 90 सांसदों से इस मसले पर विचार पूछे। 70 ने इसका सीधा विरोध किया है। इनमें 43 सांसद कांग्रेस के ही हैं। भाजपा, अकाली व कई निर्दलीय सांसदों ने भी इस पर आपत्ति जताई है।
भास्कर ने जब इस बारे में गृहमंत्री शिंदे से सवाल किया, तो जवाब मिला- हजारों लोगों ने जो ज्ञापन दिया था, उसी हिसाब से फैसला हो रहा है। हालांकि कई लोगों ने यह भी कहा है कि इसका दुरुपयोग होगा। मामला कैबिनेट में है, इसलिए कुछ नहीं कहूंगा। उधर कांग्रेस, भाजपा और अन्य दलों के सांसदों ने कहा है कि सरकार को ऐसा मनमाना फैसला नहीं लेने देंगे। संसद में इसका विरोध किया जाएगा। दूसरी ओर समर्थन करने वालों का तर्क है कि इससे देश में दुष्कर्म की घटनाओं में कमी आएगी।

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