Rashmi Sharma
फुर्सत के पल
* * * * * *
आकाश के
दक्षिण-पश्चिम कोने पर
टिमटिमा रहे
चमकीले तारे ने
पूछा मुझसे......
क्या मैं तुम्हारे लिए
बस एक फुर्सत का
पल हूं ?
जब दुनिया भर के
कामों को
निबटा लेती हो
अपनों को संतुष्ट
और परायों को
विदा कर देती हो....
तब
मेरी ओर देखकर
इतनी लंबी सांसे
क्यों भरती हो ?
मैं भी चाहता हूं
तुम्हें भर आंख देखना
तुमसे कुछ बतियाना
और तुम्हारी
खिलखिलाहट को सुनना
मगर तुम
तभी आती हो
जब मैं डूबने वाला होता हूं
तुम्हारा आना
और मेरा जाना....
क्या नियत है हमारा वक्त ?
कभी सोचा है तुमने
कि मैं
तुम्हारे फुर्सत का पल हूं
या फिर
यही एक पल है
जब तुम
तुम्हारे साथ होती हो
और मैं
तुम्हारे नितांत अपने पल का
एकमात्र साक्षी बनता हूं.....
फुर्सत के पल
* * * * * *
आकाश के
दक्षिण-पश्चिम कोने पर
टिमटिमा रहे
चमकीले तारे ने
पूछा मुझसे......
क्या मैं तुम्हारे लिए
बस एक फुर्सत का
पल हूं ?
जब दुनिया भर के
कामों को
निबटा लेती हो
अपनों को संतुष्ट
और परायों को
विदा कर देती हो....
तब
मेरी ओर देखकर
इतनी लंबी सांसे
क्यों भरती हो ?
मैं भी चाहता हूं
तुम्हें भर आंख देखना
तुमसे कुछ बतियाना
और तुम्हारी
खिलखिलाहट को सुनना
मगर तुम
तभी आती हो
जब मैं डूबने वाला होता हूं
तुम्हारा आना
और मेरा जाना....
क्या नियत है हमारा वक्त ?
कभी सोचा है तुमने
कि मैं
तुम्हारे फुर्सत का पल हूं
या फिर
यही एक पल है
जब तुम
तुम्हारे साथ होती हो
और मैं
तुम्हारे नितांत अपने पल का
एकमात्र साक्षी बनता हूं.....
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