हम चांद पर पहुंच गए, मंगल पर जाने की तैयारी है.
हमारे पास इंटरनेट है, लैपटॉप है, स्मार्टफोन है. यहां तक की कल की कल्पना
टेस्ट ट्यूब बेबी आज की हकीकत बन चुकी है. मतलब तकनीकी विकास के क्रम में
हमने काफी लंबा सफर तय कर लिया है. अक्सर होता यह है कि बड़े सपने को पाने
के पीछे हम इतना रम जाते हैं कि कुछ छोटे पर बहुत ही महत्वपूर्ण चीजों पर
हमारा ध्यान जाता ही नहीं है. स्त्री-पुरुष संबंधों के बेहद आत्मीय क्षणों
में काम आने वाला कंडोम के साथ कुछ ऐसा ही हुआ है.
कंडोम बनाने वाली कंपनियों ने मार्केटिंग और बिजनेस के फंडों के तहत
बाजार में तरह-तरह के कंडोम तो जरूर उतारे, लेकिन इससे जुड़े मानवीय पहलू पर
जितना काम होना चाहिए था, वह नहीं किया गया. यही कारण है कि लोग, खासकर
पुरुष, कंडोम के प्रयोग से बचना चाहते हैं. ऐसा नहीं है कि इसे सिर्फ
पुरुषवादी मानसिकता कह कर टाला जा सकता है, बहुत सी महिलाएं भी अपने साथी
द्वारा कंडोम के इस्तेमाल से परहेज करती हैं. स्पष्ट है कि कंडोम, सेक्स के
दौरान मिलने वाले सुख को, उत्तेजना को कम करता है.
माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बिल गेट्स और उनकी पत्नी मिलिंडा गेट्स
एक परोपकारी संस्था चलाते हैं. नाम है - बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउन्डेशन.
यह संस्था नेक्स्ट जेनरेशन कंडोम बनाने के लिए एक प्रतियोगिता करवा रही है.
जीतने वाले को 54 लाख रुपये ईनाम के तौर पर दिए जाएंगे. बस कंडोम ऐसा बनना
चाहिए कि लोग उसे स्वेच्छा से यूज करें, न कि जबरन, मन मार कर. इतना ही
नहीं, अगर आपका बनाया कंडोम सेलेक्ट कर लिया गया, तो ईनाम राशि के अलावा
अलग से वित्तीय सहायता भी दी जाएगी.
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