शिमला। प्रदेश में भाजपा सरकार के कार्यकाल में 2008 से लेकर
2012 के बीच 1100 अधिकारियों और नेताओं के फोन नंबर टैप किए जाने का खुलासा
हुआ है।
मामले की जांच कर रही स्टेट फॉरेंसिक साइंस लैब (एसएफएसएल) जुनगा की
जांच टीम ने इसकी एक रिपोर्ट मुख्य सचिव के माध्यम से सरकार को सौंप दी है।
तीन सदस्यीय जांच टीम ने शुक्रवार को यह रिपोर्ट मुख्य सचिव एस रॉय को
सौंप दी। कुल 1100 नंबरों की सूची में कितने नंबरों की टैपिंग के लिए
मंजूरी ली गई और कितने अवैध तरीके से टैप किए गए, जल्द ही इसका भी पता चल
जाएगा।
वीरभद्र सिंह जब विपक्ष में थे तो वह भाजपा सरकार पर कई बार अवैध फोन टैपिंग के आरोप लगाते रहे हैं।
क्या था मामला
भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान वर्ष 2009 से लेकर 2012 के बीच
नेताओं और अधिकारियों के फोन टेप होने की खूब चर्चा रही थी। कई कांग्रेसी
नेताओं ने इस मुद्दे को उठाया था कि उनके फोन टेप किए जा रहे हैं।
चुनाव के बाद नई सरकार ने जैसे ही पदभार संभाला कि फोन टैपिंग के
संदेह को देखते हुए सीआईडी और विजिलेंस से हार्ड डिस्क जब्त करवा ली थी।
बाद में इन्हें एफएसएल लैब जुनगा भेजा गया। यहां तीन विशेषज्ञों की टीम को
यह पता लगाने के निर्देश दिए गए थे कि आखिर किन नंबरों की टैपिंग की गई है।
किस स्थिति में की जा सकती है फोन टैपिंग
सीआईडी सिर्फ उन्हीं मामलों की जांच कर सकती है, जिनमें मामला या तो
राज्य की सुरक्षा से जुड़ा हो या फिर नारकोटिक्स के मामले में किसी पर
संदेह हो। इनके लिए भी कमेटी से स्वीकृति लेनी पड़ती है। इसमें गृहसचिव भी
मौजूद होते हैं।
सीआईडी ने जब्त किए थे चार सीपीयू
कमेटी की मंजूरी के बिना किसी के फोन टैप नहीं किए जा सकते, लेकिन
अवैध टैपिंग का संदेह होने के बाद सीआईडी से चार सीपीयू जब्त किए गए थे।
इनकी जांच के बाद कुल 1100 नंबरों की फोन टेपिंग होने का खुलासा हुआ।
मोबाइल फोन भी शामिल
सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट में दिए गए नंबरों में कुछ मोबाइल नंबर
कांग्रेसी नेताओं के हैं जो 2008 से लेकर 2012 के बीच टेप किए गए हैं। कुछ
विभागों के अधिकारियों के नंबर भी सूची में है। अब इन नंबरों का पुराना
रिकॉर्ड मैच किया जा रहा है।
नंबरों की जांच होगी
प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव एस रॉय ने कहा कि फोन टैपिंग मामले की
रिपोर्ट मिल गई है। इसमें 1100 फोन के टैप होने की बात सामने आ रही है।
फिलहाल रिपोर्ट आ गई है और इन नंबरों की जांच के बाद आगामी कार्रवाई की
जाएगी। किन नंबरों के लिए अनुमति ली गई थी और किनके लिए नहीं इसकी भी जांच
की जाएगी।
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