आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

14 फ़रवरी 2013

यह अजीब संस्क्रती है ..पहले फूल दिवस वोह भी केवल गुलाब के फुल का दिवस

यह अजीब संस्क्रती है ..पहले फूल दिवस वोह भी केवल गुलाब के फुल का दिवस ..गोभी के फूल की कोई अहमियत नहीं है ..फिर आलिंगन दिवस ..जादू की झपकी की कोई अहमियत नहीं है ...फिर किस दिवस यानी मुझे तो लिखने में भी शर्म आती है आप खुद ही समझ गए होंगे ...अब कल फिर प्रेम दिवस वेलेंटाइन डे वाह भाई वाह खूब मनाओं ....प्यार दो प्यार लो ..वफादारी निभाओ यह सब तो गीता हो या कुरान सभी में तो लिखा है फिर धर्म संस्क्रती के अनुरूप अपने माता ..पिता ..अपने बुज़ुर्ग ..अपनी पत्नी ..बच्चों ..अपने देश .अपनी संस्क्रती ..से प्रेम क्यूँ नहीं करते क्यूँ अपने धर्म मजहब को मटियामेट कर रहे हो भाई थोड़ा सुधरो ..थोडा समझो .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...