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08 जनवरी 2013

बहादुर पिंडारियों की ऐतिहासिक नवाबी नगरी टोंक में रेल लाने के नाम पर आखिर ठगी कब तक होती रहेगी


दोस्तों राजस्थान में नवाबों की ऐतिहासिक नगरी टोंक रियासत जहां कभी हार नहीं देखी ..जिस रियासत के आगे बढ़े बढ़े सुरमा सर झुकाते थे जहां पिंडारियों का अविजित इतिहास रहा है आज व्ही रियासत राजस्थान का टोंक जिला बनने के बाद सियासी बलात्कार का शिकार है इस टोंक में केवल और केवल सियासत है हालत यह है के यहाँ उद्द्योग और विकास तो है ही नहीं लेकिन नवाबों की इस नगरी को आज तक रेल का सुख भी नहीं मिल सका है ...दोस्तों मेरे अलफ़ाज़ कडवे जुमले भद्दे जरुर है जिसमे में इस टोंक नगरी में सियासी बलात्कार की बात कही है लेकिन इसमें सच्चाई भी है जिस टोंक ने राजस्थान के गठन में अपना सार खजाना लुटा दिया खुद टोंक गरीब हो गया उस टोंक का सियासी तोर पर जो हाल हुआ है जो उपेक्षा हुई है आज़ादी के बाद से उस टोंक की हालत खुद अपनी ज़ुबानी ब्यान करती है ...टोंक आज़ादी के बाद से आगे बढने जगह पिछड़ता गया यहाँ बेरोज़गारी ...गरीबी ..कुटीर उद्द्योगों का खात्मा ...पानी खाद बीज की कमी के कारण खेती का नुकसान बसें  नहीं रेल नहीं सडकें नहीं ..इतिहास होने के बाद भी पुरातत्व महत्व नहीं ....सडकें टूटी है ..गलियें गंदी है ..चिकित्सा सुविधा नहीं ..शिक्षा सुविधा नहीं और सियासत सभी पार्टियों की यहाँ पर है कोंग्रेस हो ..भाजपा हो ..जनता पार्टी हो ..बसपा हो ..सपा हो ..मुस्लिम लीग हो निर्दलीय हो सभी टोंक को सियासी चरागाह समझते रहे है यहाँ काफी वक्त तक कोंग्रेस का कब्जा रहा सियासी तोर पर कोई स्वर्ण जाती का चुनाव जीत कर टोंक का विकास न कर दे इसलियें इसे पछाड़ने के लियें यहाँ की सांसद सीट आरक्षित कर दी ..टोंक के बनवारी लाल बेरवा दिग्गज मंत्री और फिर उप मुख्यमंत्री रहे लेकिन सब बेकार टोंक के लियें कुछ भी कर पाने में असमर्थ रहे जनता पार्टी सरकार में गोपाल पचेरवाल जो जनता पार्टी के राष्ट्रिय महा सचीव थे मोरारजी सरकार के वक्त सांसद बने लेकिन टोंक को अंगूठा दिखाया फिर भाजपा के कोंग्रेस के सांसद टोंक को केवल अंगूठा दिखाते रहे कभी अजहरुद्दीन कहते है में टोंक से चुनाव लडूंगा कभी वैभव गहलोत यहाँ से चुनाव लड़ने का सपना देखते है लेकिन टोंक के लियें टोंक के लोगों के लियें टोंक के विकास के लियें कोई सियासी मर्द कुछ नहीं करता ..टोंक ने देखा जब यहाँ के सियासी मर्द जनाने हो गये तो टोंक ने ओरत पर भरोसा किया और जकिया इनाम को मंत्री का ताज पहनाया लेकिन यह कोशिश भी बेनतीजा रही कुल मिला कर टोंक की दुर्दशा के लियें आज तक जो जनता ज़िम्मेदार थी आज तक टोंक की जो जनता सोयला गोली काण्ड के बाद भी बीसलपुर पानी का इन्साफ नहीं हांसिल कर पा रही थी आज वहां की जनता जागरूक हो चुकी है ...सियासी साक्षर हो चुकी है .यहाँ की जनता में सियासी समझ आ गयी है और टोंक के लोग समझ गए है के दिल्ली में जो नमोनारायण मीना स्नासाद बनकर गए है वोह वित्त मंत्री बनकर बेठे है देश का खजाना उनके हाथ में है वोह चाहे तो टोंक में रेल के लियें समूचा बजट स्वीक्रत करवा सकते है यहाँ उद्द्योग लगवा सकते है हस्तशिल्प कला का बजार टोंके में है यहाँ इसके लियें सम्भावनाएं तलाशी जा सकती है टोंक का वोटर जानता है के भाजपा के गुर्जर नेता किरोड़ी सिंह बैसला  जो ट्रेन रोक कर अपनी मांगे  मनवाने की क्षमता रखते है वोह फिर अगर टोंक की जनता के साथ अंगडाई ले तो टोंक में इसी साल रेल आ सकती है ...कितनी अजीब बात है टोंक जिले का एक छोटा सा कब्जा निवाई जो केवल बीस किलोमीटर दूर है वहन ट्रेन है लेकिन टोंक को आज़ादी के बाद से अब तक ट्रेन से सभी सियासी दलों ने वंचित कर रखा है सर्वे हुआ कई बार हुआ दो सो करोड़ से बजट सात सो करोड़ तक जा पहुंचा केंद्र कहता है हम तय्यार है राजस्थान सरकार कहती है हम कोशिश कर रहे है करीब दो दशक इसी उहापोह में निकल गये है लेकिन अब और नहीं बस और नहीं टोंक के लोग मासूम जरूर है लेकिन शासक रहे है इसलियें सरकार के झूंठे वायदों में वोह नहीं आयेंगे ..टोंक ने एक बार फिर पिंडारी स्टाइल अपनाई है जिस तरह से उन्होंने अंग्रेजों को छका दिया था और उनसे राज हांसिल किया था अब टोंक की जनता यहाँ के बिखरे सियासी लोग एक जुट होकर टोंक के विकास के लियें लामबद्ध होने लगे है यहाँ टोंक के विकास के लियें इसी साल रेल से टोंक का जुडाव हो इसके लियें अनादोलन तेज़ हो गया है और अब टोंक के लोग यहाँ के सांसद भारत सरकार के वित्त राज्य मंत्री और राजस्थान के मुख्यमत्री अशोक गहलोत का कालर पकड़ कर टोंक में रेल लाने के लियें आन्दोलन करने की ठान बेठे है ..राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस गम्भीरता को स्म्झ्त्ते है इसलियें उन्होंने भी टोंक  रियासत का खोया हुआ इतिहास नवाबी ठाठ बाट लोटाने के लियें रेल मंत्री पवन बंसल से बात की है और केन्द्रीय मंत्री नमोनारायण मीणा ने भी अपनी कोशिशें तेज़ कर दी है लेकिन इतिहास मे जहां लडाके होते है वहीँ जय चंद गद्दार भी होते है और यहाँ भी कुछ सियासी मोहरे टोंक के लोगों को गुमराह कर रहे है और रेल की लड़ाई में करो या मरो का नारा बुलंद नहीं होने दे रहे है जबकि टोंक के लोग अगर रेल नहीं तो वोट नहीं का नारा देते है टोंक में रेल नहीं तो नेता नहीं घुसेगा का कार्यक्रम चलाते है तो बस वोह दिन दूर नहीं जब टोंक में रेल होगी ..विकास होगा और टोंक विकसित हो देश की मुख्यधारा से जुड़े टोंक वासियों का यह ख्वाब पूरा होगा ..............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

1 टिप्पणी:

  1. प्रभावशाली ,
    जारी रहें।

    शुभकामना !!!

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