नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस बात पर सख्त एतराज
जताया कि 23 वर्ष की छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या की वीभत्स
घटना के लिए सिर्फ एक जूनियर पुलिस अधिकारी को निलंबित किया गया और पुलिस
आयुक्त समेत वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को जवाबदेह क्यों नहीं बनाया गया।
चीफ जस्टिस डी मुरुगेसन की अध्यक्षता वाली बेंच ने बुधवार को कहा कि
केवल एसीपी क्यों, डीसीपी क्यों नहीं, कमिश्नर पर कार्रवाई क्यों नहीं?
बेंच ने उस इलाके में गश्त कर रहे पुलिस वालों के नाम जाहिर न करने पर
नाराजगी जताई जिसमें चलती बस में लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया जा
रहा था।
अदालत ने दिल्ली पुलिस को यह भी चेताया कि वह परिणाम भुगतने के लिए
तैयार रहे। पुलिस द्वारा सौंपी गई सीलबंद रिपोर्ट देखने के बाद बेंच ने
कहा, ‘हमने पुलिस अधिकारियों के नाम बताने को कहा था। आज भी हम संतुष्ट
नहीं हैं क्योंकि अधिकारियों के नाम नहीं दिए गए हैं।
हमने पर्याप्त समय दिया। आपने क्या कार्रवाई की। हम कल (आज) आदेश
देंगे। इसके बाद कोर्ट की जिम्मेदारी नहीं होगी।’ हाईकोर्ट ने इस मामले में
खुद संज्ञान लिया है। बेंच ने कहा कि हम इस मामले में तेजी से, निष्पक्ष
और स्तरीय जांच चाहते हैं। मामले में चार्जशीट पेश कर दी गई है। अब हम इस
की मॉनीटरिंग नहीं कर सकेंगे। गौरतलब है कि आज ही गैंगरेप के पांचों
आरोपियों को दिल्ली के साकेत कोर्ट में पेश किया जायेगा।
अदालत ने कहा कि दिल्ली पुलिस को काफी मौके दिए गए लेकिन पुलिस
अधिकारियों के नाम मुहैया नहीं कराए गए। अदालत को जब बताया गया कि दक्षिण
जिले में 67 पीसीआर वैन तैनात हैं, तो उसने कहा, ‘‘हमें उन 67 पीसीआर वैन
से सरोकार नहीं है और हमें तीन पीसीआर वैन और पुलिस अधिकारियों से सरोकार
है, इसपर रिपोर्ट कहां है?’’
दिल्ली पुलिस के वकील डी कृष्णन ने कहा कि स्थल से निकट दो पीसीआर वैन
थे और यह नहीं कहा जा सकता है कि वह बस उनके पास से गुजरी जिसपर अपराध हुआ
था।
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