महादेव महायोगी के रूप में पूजनीय हैं। माना जाता है कि उनका योग स्वरूप
ही संसार के सुख और आनंद की वजह है। वहीं, रौद्र रूप में भगवान शिव
प्रलंयकारी बन बुरी वृत्त्तियों व कामनाओं को कामदेव की तरह भस्म कर उनको
जगत के लिए मंगलकारी बना देते हैं।
इस तरह मंगलकारी व विनाशक दोनों ही स्वरूपों में भगवान शिव की अपार शक्ति व गुण उजागर होते हैं। किंतु सांसारिक नजरिए से कोई कितना ही गुणी हो, उसमें कुछ न कुछ कमजोरियों भी मौजूद होती हैं। क्या आप जानते हैं यही बात महादेव पर भी लागू होती हैं। क्योंकि धर्मग्रंथों में महादेव होने पर भी उनके स्वरूप व चरित्र में कुछ कमियां भी उजागर की गई हैं। हालांकि शिव की अपरंपरा महिमा के आगे ये कमियां भी गौण हो जाती हैं या यूं कहें कि ये महादेव के ये अवगुण भी जगत के लिए गुण व ज्ञान का खजाना बनकर शुभ व मंगलकारी साबित होते हैं।
हिन्दू धमग्रंथ रामचरितमानस में भगवान शिव के ऐसे ही 8 अवगुण बताए गए हैं, जो शिव के निरालेपन को साबित कर शिव भक्ति के आनंद को और भी बढ़ा देते हैं। अगली स्लाइड पर पहुंच जानिए आखिर कौन सी है देवों के देव की ऐसी कमियां -
मर्यादाओं के सबक सिखाने वाले पवित्र ग्रंथ रामचरितमानस में शिव-पार्वती विवाह प्रसंग में शिव को अपना स्वामी बनाने का मन बना चुकी पार्वती को शिव के बजाए भगवान विष्णु से विवाह करने के लिए मनाने के दौरान ऋषिगणों द्वारा महादेव के 8 अवगुण उजागर किए गए। लिखा गया है कि -
तेहि कें बचन मानि बिस्वासा। तुम्ह चाहहु पति सहज उदासा॥
निर्गुन निलज कुबेष कपाली। अकुल अगेह दिगंबर ब्याली॥
इसका सार है कि ऋषिगण माता पार्वती को शिव के बारे कहते हैं कि - " नारदजी के वचनों पर विश्वास कर तुम ऐसा पति चाहती हो जो (शिव) स्वभाव से ही उदासीन, गुणहीन, निर्लज्ज, बुरे वेश वाला, नर-कपालों की माला पहननेवाला, कुलहीन, बिना घर-बार का, नंगा और शरीर पर साँपों को लपेटे रखनेवाला है।
इस बात का जवाब माता पार्वती ने दिया है कि -
महादेव अवगुन भवन बिष्नु सकल गुन धाम।
जेहि कर मनु रम जाहि सन तेहि तेही सन काम॥
माना कि महादेव अवगुणों के भवन हैं और विष्णु समस्त सद्गुणों के धाम हैं, पर जिसका मन जिसमें रम गया, उसको तो उसी से काम है॥
इस तरह मंगलकारी व विनाशक दोनों ही स्वरूपों में भगवान शिव की अपार शक्ति व गुण उजागर होते हैं। किंतु सांसारिक नजरिए से कोई कितना ही गुणी हो, उसमें कुछ न कुछ कमजोरियों भी मौजूद होती हैं। क्या आप जानते हैं यही बात महादेव पर भी लागू होती हैं। क्योंकि धर्मग्रंथों में महादेव होने पर भी उनके स्वरूप व चरित्र में कुछ कमियां भी उजागर की गई हैं। हालांकि शिव की अपरंपरा महिमा के आगे ये कमियां भी गौण हो जाती हैं या यूं कहें कि ये महादेव के ये अवगुण भी जगत के लिए गुण व ज्ञान का खजाना बनकर शुभ व मंगलकारी साबित होते हैं।
हिन्दू धमग्रंथ रामचरितमानस में भगवान शिव के ऐसे ही 8 अवगुण बताए गए हैं, जो शिव के निरालेपन को साबित कर शिव भक्ति के आनंद को और भी बढ़ा देते हैं। अगली स्लाइड पर पहुंच जानिए आखिर कौन सी है देवों के देव की ऐसी कमियां -
मर्यादाओं के सबक सिखाने वाले पवित्र ग्रंथ रामचरितमानस में शिव-पार्वती विवाह प्रसंग में शिव को अपना स्वामी बनाने का मन बना चुकी पार्वती को शिव के बजाए भगवान विष्णु से विवाह करने के लिए मनाने के दौरान ऋषिगणों द्वारा महादेव के 8 अवगुण उजागर किए गए। लिखा गया है कि -
तेहि कें बचन मानि बिस्वासा। तुम्ह चाहहु पति सहज उदासा॥
निर्गुन निलज कुबेष कपाली। अकुल अगेह दिगंबर ब्याली॥
इसका सार है कि ऋषिगण माता पार्वती को शिव के बारे कहते हैं कि - " नारदजी के वचनों पर विश्वास कर तुम ऐसा पति चाहती हो जो (शिव) स्वभाव से ही उदासीन, गुणहीन, निर्लज्ज, बुरे वेश वाला, नर-कपालों की माला पहननेवाला, कुलहीन, बिना घर-बार का, नंगा और शरीर पर साँपों को लपेटे रखनेवाला है।
इस बात का जवाब माता पार्वती ने दिया है कि -
महादेव अवगुन भवन बिष्नु सकल गुन धाम।
जेहि कर मनु रम जाहि सन तेहि तेही सन काम॥
माना कि महादेव अवगुणों के भवन हैं और विष्णु समस्त सद्गुणों के धाम हैं, पर जिसका मन जिसमें रम गया, उसको तो उसी से काम है॥
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