आपका-अख्तर खान

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31 दिसंबर 2012

उन्होंने जब मुझ से कहा

उन्होंने जब मुझ से कहा
अज हमारी आखरी मुलाक़ात है
उन्होंने जब मुझ से कहा
आज के बाद
फिर कभी मुझ से तुम
मिलने की कोशिश ना करना
में उनसे उनकी चाहत पूरी करने का वायदा कर
जब जाने लगा
वोह देखते रहे मेरी आँखों
कहीं मेरी आँखों में आंसू तो नहीं
वोह झांकते रहे मेरी आँखों में
कहीं मेरी आँखे डबडबा तो नहीं गयीं
लेकिन देख लो
खुद का शुक्र है
दिल पर मेरे पत्थर था
अन्दर एक तूफ़ान था
लेकिन चेहरे पर मेरे हिम्मत ..खुलूस
मेरे महबूब की चाहत पूरी करने का होसला था
में अकेला तो था अकेला तो हूँ अकेला भी रहूँगा
लेकिन फिर भी
यह होसला
यह वायदा
मेरी जिंदगी बनकर
हमेशा हमेशा मेरे साथ मेरे आसपास रहेगा .........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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