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26 दिसंबर 2012

..दोस्तों बात कडवी है लेकिन सच्ची है ....क्रोध कम और दिल के जज्बात को टटोल कर इस सच के बारे में विचार जरूर करना

दोस्तों पिछले दिनों दिल्ली की दिल हिला देने वाली अमानवीय घटना ने सभी को मोका दिया रोने वाले रोये ..राजनीति करने वाले राजनीति करते देखे गए ..लिखने वाले लिखते रहे ..खबरचियों ने खबर बनाई ..कवियों ने कविताये लिखी ..ब्लोगर्स ने ब्लॉग लिक्खे फेस्बुकियों ने फेसबुक के पेज भरे कुल मिला कर इस दर्दनाक घटना पर सभी ने खुद को ज़िंदा साबित करने का प्रयास किया लेकिन नतीजे के नाम पर सिफर क्योंकि न्याय के इस सफर का रास्ता गलत था ..शांतिपूर्ण आन्दोलन हुआ लेकिन पुलिस लाठी चली पुलिस का कहना है हम भीड़ को आतंकवादी हमले से बचाना चाहते थे इसलियें हमे आतंकवादी बनना पढ़ा निर्दोष पुलिस कर्मी की जान गयी पीड़ित लड़की की स्थिति जस की तस दर्दनाक बनी हुई है ..जनता का गुस्सा अधिक है और पीडिता के प्रति सिम्पेथी कम किसी भी समाजसेवक किसी भी धर्म से जुड़े लोगों ने लड़की के स्वाश्थ्य लाभ और जिंदगी की दुआ नहीं मांगी हां प्रदर्शन किया विवाद किया .....खेर सबके अपने तरीके है घटना जो भी हुई निश्चित ही खोफ्नाक दर्दनाक है ..लेकिन इस घटना के बाद जो परिचर्चा ..चर्चा और वाद विवाद शुरू हुआ है उस पर विचार किया जाना जरूरी है किसी भी घटना का चिंतन मंथन एक पक्षीय नहीं बहुपक्षीय होना चाहिए और ऐसा होगा तभी कोई नतीजा निकल सकेगा ..हमारे देश में बलात्कार एक घिरनास्पद अपराध है और अपराधी को सूली पर चढाना ही चाहिए यह सभी का मत है ...लेकिन दोस्तों हमे भी अपने गिरेहबान में झांकना होगा ...हमे हमारे बच्चों को संस्कार देना होंगे हिन्दू हो चाहे मुस्लिम हो चाहे किसी भी धर्म के परिवार से जुड़े लोग हो कुछ एक अपवादों को छोड़ दे तो टी वी ..फिल्म  ... इंटरनेट ..और न  जाने क्या क्या बालपन से ही बच्चों के दिमाग में डालते है बच्चे केसे कपड़े पहने है क्या खाते है क्या पीते है पार्टियों में कहाँ किसके साथ जाते है पहनावा केसा है हम ध्यान नहीं देते जब हमारी बच्चियां केवल मुंह ढांक कर और शरीर का काफी अंग खुला रख कर जाती है तो हम उन्हें नहीं टोकते लडकों की नंगी शेतानी आँखें उन्हें घूरती है तो हम हमारे लडकों को नहीं रोकते हमारी बच्चियां केसे कपड़े पहने ..कब बाहर निकले ..किसके साथ घुमने जाए यह मर्यादाएं हमारे देश में है लेकिन हम पाश्चात्य सभ्यता में है जन्म दिन की पार्टिया हों ..नये साल का जश्न हो जीत की ख़ुशी हो केसे मनाई जाती है सभी जानते है मुंबई और गोवा दिल्ली की सडकों पर नये साल पर क्या होता है होटलों पर क्या होता है सभी देखते है पुलिस छाप मारती है लडकियाँ शराब के नशे में पकड़ी जाती है लेकिन हम समाज सुधारक उन्हें उपदेश नहीं देते हम लडकियों के लियें कोई कोड कन्डक्ट नहीं बनाना चाहते वोह केसे भी कपड़े पहने उनकी मर्जी ..लडकिय शराब का विज्ञापन हो चाहे दुसरे विज्ञापन उसमे कम कपड़े पहन कर प्रचार करे हम कुछ नहीं कहते ..पीटा  एक्ट में लडकियाँ पकड़ी जाएँ हम कुछ नहीं कहते ..लडकियाँ लडकों को उकसायें हम कुछ नहीं कहते सभी जानते है दोषी सब है खासकर सिस्टम जिसमे एक वर्ग को ही केवल दोषी करार दिया जाता है महिया अबला है वोह सबला भी है लेकिन अगर महिला जवान शेली के तोर तरीकों में आधुनिकता के नाम पर पार्टियों में शराब पीती दिखे तो हमारा फर्ज़ है के उन्हें रोके अश्लील विज्ञापन में अगर महिला की अभद्र तस्वीर दिखे तो हमारी ज़िम्मेदारी है के हम महिला अशिष्ट रूपं प्रतिषेध अधिनियम में उसे गिरफ्तार करवाएं ..अशिलिलता का मुकदमा दर्ज करवाए ..महिला अगर जवानी की दवाओं ..सेक्सी दवाओं के विज्ञापन की प्र्धार्क होती है तो ऐसी महिलाओं का सामाजिक बहिष्कार हो ....मोहल्ले में अगर कोई महिला अपने पति को छोड़ कर कहीं दुसरे पुरुषों के साथ रिश्ते बनाती है तो ऐसी महिलाओं को वेश्यावृत्ति निरोधक अधिनियम में गिरफ्तार करवाना हमारी ज़िम्मेदारी है ..रेव पार्टियों में महिलाएं पकड़ी जाती है तो ऐसी महिलाओं को भी हमे सबक सिखाना चाहिए .......कुल मिलाकर पुरुष समाज नोजवान लडके तो समाज को बिगाड़ने के दोषी है ही लेकिन कुछ एक अपवादित महिलाये ऐसी है जो भी इस दोष में नंगेपन से नहीं चूक  रही है ...बात कडवी है लेकिन सच्ची है सभी जानते है के महिला और पुरुषों दोनो का सामज के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान है लेकिन दोनों में से किसी का भी अगर संतुलन बिगड़ता है तो समाज विकृत हो जता है और आज दोनों पक्षों का ही संतुलन बिगड़ रहा है पुरुष वर्ग में कई ऐसे लोग है जो ओर्तों की अस्मत से छेड़छाड़ करना अपना अधिकार समझते है जबकि कई महिलाये भी ऐसी है जो जिस्म की नुमाइश फेशन समझती है और कई महिलाये जिस्म के व्यापार में भी लगी है शराब पीना उनका शोक है और पुरुष मित्रों के साथ घिरे रहना उनकी आदत बन गयी है बस यहीं कुछ बिगड़ पैदा होता है .....दोस्तों पुरुष  अगर अत्याचारी है तो उसे सख्त सजा मिलना ही चाहिए लेकिन अगर हमारी बहने हमारी माताए भी अगर सामजिक मर्यादाओं को भंग करती है तो भारत में जो कानून है उनके तहत उन पर भी कार्याही होना चाहिए और अगर हो सके तो बेहयाई को रोकने के लियें नया  कानून भी बनाना पढ़े तो बनाना  चाहिए ....
दूसरी बात हमारे देश में एक घटना ने सभी को हिल कर रख दिया है लेकिन जरा सोचे ऐसी घटनाए अंजाम देने के लियें कुछ हद तक नशा भी दोषी है हमने यह ताकत यह एकता शराब बंदी के लिए नहीं लगाई ताज्ज्जुब तो इस पर है के प्रदर्शन में भी कुछ् लोग शराब पीकर गए थे .....हमने नशीले पदार्थों की बिक्री देश में शराब बंदी ..सिगरेट तम्बाकू बिक्री रुकवाने पर अपनी ताकत नहीं लगाई ..सरकार कहती है शराब पीना बुरी बात है सिगरेट पर लिखती है सिगरेट से केंसर होता है ..तम्बाकू के पाउच पर लिखा जाता है इससे जिंदगी खतरे में पद्धति है फिर भी सरकार के यह नाकारा निकम्मे मंत्री शराब ..सिगरेट ..तम्बाकू का खुला व्यापार करते है और टेक्स कमाते है है सरकार की इस बेशर्मी सी बेहयाई के खिलाफ कोई आवाज़ नहीं उठाता अगर शराब बंदी हो जाए ..नशा बंद हो जाएय तो आधी से ज्यादा बेहयाई बेशर्मी तो वेसे काबू में आजायेगी मर्यादाएं बचेंगी और देश में सुरक्षा का माहोल बनेगा ....दोस्तों बात बहु पक्षीय है एक पक्षीय नहीं कोई पक्ष पूरा बुरा नहीं होता हमारा नजरिया होता है .........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 

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