हिन्दू धर्म मान्यताओं में त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु व महेश का
स्वरूप माने गए भगवान दत्तात्रेय का स्मरण मात्र ही सफल व सुखी सुखी बनाने
वाला माना गया है। भगवान दत्तात्रेय महायोगी व महागुरु के रूप में भी
पूजनीय है। दत्तात्रेय चरित्र ज्ञान के बूते अहंकार को गलाकर खुशहाल जीवन
जीने के सबक भी देता है। इसमें भगवान दत्तात्रेय द्वारा 24 गुरु बनाया
जाना, जिनमें मनुष्य, प्राणी, प्रकृति सभी शामिल थे, इस बात को खासतौर
पर व्यावहारिक रूप से अपनाने की राह भी बताता है।
धार्मिक नजरिए से तो भगवान दत्तात्रेय की पूजा ज्ञान व मोक्ष, तो व्यावहारिक नजरिए से ज्ञान, बुद्धि, बल के साथ शत्रु बाधा दूर कर हर काम में सफलता और मनचाहे सुखद परिणामों को देने वाली भी मानी गई है।
भगवान दत्तात्रेय का जन्म मार्गशीर्ष या अगहन माह की चतुर्दशी को प्रदोष काल यानी शाम के वक्त ही माना गया है। इस दिन दत्त जयंती मनाई जाती है। शिव की तरह भगवान दत्तात्रेय भी भक्त की पुकार पर शीघ्र प्रसन्न होकर किसी भी रूप में उसकी कामनापूर्ति या संकटनाश करते हैं। इसलिए आप भी गुरुवार व दत्त जयंती की शाम यहां बताए जा रहे 3 विशेष मंत्रों व सरल पूजा विधि से भगवान दत्तात्रेय की पूजा कर हर कामनासिद्धि कर सकते हैं -
- गुरुवार की शाम दत्त मंदिर बें भगवान दत्तात्रेय की प्रतिमा या दत्तात्रेय की तस्वीर पर सफेद चंदन और सुगंधित सफेल फूल चढ़ाकर फल या मिठाई का भोग लगाएं। गुग्गल धूप लगाएं और नीचे लिखे 3 विशेष मंत्रों से भगवान दत्तात्रेय का स्मरण करें या यथाशक्ति मंत्र जप कर घी के दीप से आरती कर सफलता की कामना करें -
1. दत्तविद्याठ्य लक्ष्मीशं दत्तस्वात्म स्वरूपिणे।
गुणनिर्गुण रूपाय दत्तात्रेय नमोस्तुते।।
2. ॐ द्रां दत्तात्रेयाय स्वाहा।
3. ॐ महानाथाय नमः।
- पूजा व मंत्र जप के बाद आरती करें और सफलता और कामनापूर्ति की प्रार्थना करें।
धार्मिक नजरिए से तो भगवान दत्तात्रेय की पूजा ज्ञान व मोक्ष, तो व्यावहारिक नजरिए से ज्ञान, बुद्धि, बल के साथ शत्रु बाधा दूर कर हर काम में सफलता और मनचाहे सुखद परिणामों को देने वाली भी मानी गई है।
भगवान दत्तात्रेय का जन्म मार्गशीर्ष या अगहन माह की चतुर्दशी को प्रदोष काल यानी शाम के वक्त ही माना गया है। इस दिन दत्त जयंती मनाई जाती है। शिव की तरह भगवान दत्तात्रेय भी भक्त की पुकार पर शीघ्र प्रसन्न होकर किसी भी रूप में उसकी कामनापूर्ति या संकटनाश करते हैं। इसलिए आप भी गुरुवार व दत्त जयंती की शाम यहां बताए जा रहे 3 विशेष मंत्रों व सरल पूजा विधि से भगवान दत्तात्रेय की पूजा कर हर कामनासिद्धि कर सकते हैं -
- गुरुवार की शाम दत्त मंदिर बें भगवान दत्तात्रेय की प्रतिमा या दत्तात्रेय की तस्वीर पर सफेद चंदन और सुगंधित सफेल फूल चढ़ाकर फल या मिठाई का भोग लगाएं। गुग्गल धूप लगाएं और नीचे लिखे 3 विशेष मंत्रों से भगवान दत्तात्रेय का स्मरण करें या यथाशक्ति मंत्र जप कर घी के दीप से आरती कर सफलता की कामना करें -
1. दत्तविद्याठ्य लक्ष्मीशं दत्तस्वात्म स्वरूपिणे।
गुणनिर्गुण रूपाय दत्तात्रेय नमोस्तुते।।
2. ॐ द्रां दत्तात्रेयाय स्वाहा।
3. ॐ महानाथाय नमः।
- पूजा व मंत्र जप के बाद आरती करें और सफलता और कामनापूर्ति की प्रार्थना करें।
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