झाबुआ। यह परंपरा है। जान जोखिम में डालने की। मध्यप्रदेश के
झाबुआ में कई जगह ऐसा ही होता है। ग्रामीण जमीन पर लेटते हैं। गायें उनके
ऊपर से गुजरती हैं। गाय का खुर शरीर पर लगना शुभ माना जाता है। दिवाली के
दूसरे दिन पड़वा पर मन्नत पूरी होने के बाद यह परंपरा निभाई जाती है।
कब
दिवाली के दूसरे दिन पड़वा पर।
कहां
झाबुआ के गोवर्धननाथजी की हवेली, खरडू बड़ी, पेटलावद, रायपुरिया, थांदला, राणापुर, धार के रिंगनोद, दसाई, टवलाई।
क्या होता है
ग्रामीण जमीन पर लेटते हैं, गायें ऊपर से गुजरती हैं।
यह है मान्यता
ग्रामीण बीमारी ठीक होने, संतान सुख आदि के लिए मन्नत लेते हैं। मन्नत
पूरी होने के बाद पड़वा पर ऐसा करते हैं। गाय का खुर शरीर पर लगना शुभ
माना जाता है और मन्नतधारी अपनी मन्नत उतार देते हैं।
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