नई दिल्ली. समाचार चैनल जी न्यूज के संपादक सुधीर चौधरी और जी बिजनेस के संपादक समीर अहलूवालिया को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
उद्योगपति और कांग्रेस सांसद नवीन जिंदल ने दोनों के खिलाफ 100 करोड़
रु. की उगाही के प्रयास का आरोप लगाया था। इसके मुताबिक पैसे के एवज में
कोल ब्लॉक घोटाले की खबर रोकने का भरोसा दिलाया गया था।
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने मंगलवार को पूछताछ के बाद दोनों
पत्रकारों को गिरफ्तार कर लिया। जिंदल की कंपनी ने करीब 45 दिन पहले सुधीर
और समीर के खिलाफ केस दर्ज कराया था।
इस बीच जी न्यूज ने अपने पत्रकारों की गिरफ्तारी को दुर्भाग्यपूर्ण
बताया है। चैनल ने कहा है कि कार्रवाई संपादकों के मौलिक अधिकारों का हनन
है। लगाई गई धाराएं भी अनुचित हैं।
मामला अभी बॉम्बे हाईकोर्ट में है। इसलिए यह न्यायिक प्रक्रिया में
व्यवधान भी है। पिछले महीने जिंदल ने अपनी कंपनी की ओर से कराए स्टिंग
ऑपरेशन की सीडी जारी की थी। इसमें दिखाए गए फुटेज में दोनों पत्रकार कथित
रूप से कंपनी प्रतिनिधि से कह रहे थे कि मांगी हुई रकम देने पर उनके खिलाफ
चल रही खबरें रोक दी जाएंगी।
हालांकि सुधीर चौधरी ने आरोपों को बेबुनियाद बताया था। साथ ही कहा था
कि सीडी से छेड़छाड़ की गई है। उनके मुताबिक जिंदल ग्रुप के प्रतिनिधि खबर
रुकवाने के लिए रिश्वत देने की पेशकश कर रहे थे।
नवीन जिंदल का आरोप है कि दोनों पत्रकारों ने पहले कंपनी प्रतिनिधि से
चार साल तक हर साल 20 करोड़ रुपए देने की मांग की थी। बाद में रकम सौ
करोड़ रुपए तक बढ़ा दी गई।
बीईए ने भी की थी कार्रवाई :
जिंदल की ओर से सीडी जारी होने के बाद न्यूज चैनलों के संपादकों की
संस्था ब्रॉडकास्टर एडिटर्स एसोसिएशन (बीईए) ने सुधीर चौधरी की बीईए की
सदस्यता खत्म कर दी थी।
बीईए के महासचिव एनके सिंह ने बाद में कहा था कि पेशेगत नैतिकता के तहत सुधीर चौधरी पर कार्रवाई की गई है।
मामले में तीन सदस्यों की एक कमेटी बनाई गई थी। जिन्होंने सीडी देखी
और उन्हें लगा कि गड़बड़ी हुई है। फैसले से पहले सुधीर चौधरी का पक्ष भी
सुना गया था।
दोनों पक्षों ने दिया मानहानि का नोटिस :
इस मामले में पिछले महीने जी न्यूज ने नवीन जिंदल के खिलाफ 150 करोड़
रुपए की मानहानि का नोटिस भेजा था। जवाब में जिंदल ने भी जी ग्रुप के खिलाफ
200 करोड़ रुपए की मानहानि का नोटिस भेजा।
कोल ब्लॉक आवंटन पर दी गई कैग की रिपोर्ट में जिंदल स्टील पावर लि.
(जेएसपीएल) का भी नाम है। इसमें सरकार की ओर से अतिरिक्त फायदा पाने वालों
में जेएसपीएल भी शामिल है।
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