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18 नवंबर 2012

मुंबई ने किसी को नहीं दी थी ऐसी विदाई, पंचतत्‍व में विलीन हुए बाल ठाकरे


मुंबई। शिवसेना प्रमुख बाला साहेब ठाकरे का अंतिम संस्कार आज शाम मुंबई के शिवाजी पार्क में किया गया। ठाकरे को मुखाग्नि बेटे उद्धव ठाकरे ने दी। अंतिम संस्‍कार के वक्‍त ठाकरे के भतीजे राज  भी मौजूद थे। अपने प्रिय नेता की अंतिम यात्रा और अंतिम संस्कार में करीब बीस लाख लोग शामिल हुए। यह लोकमान्‍य तिलक के बाद शायद पहला मौका है जब किसी नेता का अंतिम संस्‍कार इस तरह सार्वजनिक जगह (शिवाजी पार्क) में किया गया। तिलक का अंतिम संस्‍कार चौपटी पर किया गया था और उसमें भी लाखों लोग शरीक हुए थे। ठाकरे की तीन किलोमीटर लंबी अंतिम यात्रा पूरी होने में करीब आठ घंटे लग गए।
 
शिवाजी पार्क में उन्‍हें श्रद्वांजलि देने के लिए तमाम क्षेत्रों के कई दिग्‍गज भी पहुंचे। इनमें केंद्रीय मंत्री, भाजपा व कांग्रेस के नेता, बॉलीवुड के कई दिग्‍गज शामिल थे। शिवाजी पार्क में शरद पवार, सुप्रिया सुले, राजीव शुक्‍ल, नितिन गडकरी, लालकृष्ण आडवाणी, सुषमा स्‍वराज, अरुण जेटली, शाहनवाज हुसैन, गोपी नाथ मुंडे, मेनका गांधी, प्रिया दत्‍त आदि मौजूद थे।  बॉलीवुड से अमिताभ बच्‍चन, संजय दत्‍त, रितेश देशमुख, नाना पाटेकर और दिग्‍गज कारोबारी अनिल अंबानी भी शिवाजी पार्क पहुंचे।
 
गुजरात के मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी मुंबई नहीं पहुंच पाए। इसका कारण यह बताया गया कि मुंबई की सड़कों पर जिस प्रकार भीड़ उमड़ी है, वैसे में मोदी का आना संभव नहीं था। 
 
सुबह करीब नौ बजे उनका पार्थिव शरीर 'मातोश्री' से बाहर निकाला गया। वहां एक चबूतरे पर उनका पार्थिव शरीर रखा गया था। वहां मातमी धुन बजाई गई और उन्‍हें सलामी दी गई थी। उनका शव तिरंगे में लपेटा गया और फिर पूरे राजकीय सम्‍मान के साथ उनकी अंतिम यात्रा  शिवाजी पार्क के लिए निकली। (
 
बाल ठाकरे के अंतिम सफर में साथ देने के लिए पूरी मुंबई और महाराष्‍ट्र उमड़ पड़ा। लाखों की भीड़ के चलते यात्रा काफी धीमी गति से चल रही थी।  सेना भवन में ठाकरे का पार्थिव शरीर पहले शाम पांच बजे तक रखे जाने का कार्यक्रम था। लेकिन अत्‍यधिक देरी होने के कारण वहां कुछ देर ही ठाकरे के पार्थिव शरीर को रखा जा सका। ठाकरे की अंतिम यात्रा  दादर स्थित सेना भवन से शिवाजी पार्क पहुंची। 
 
राज ठाकरे ने रखी दूरी
 
जिस ट्रक में ठाकरे का पार्थिव शरीर रखा गया था, उसमें राज ठाकरे नहीं बैठे। राज ट्रक के आगे पैदल ही चल रहे थे। लेकिन बाद में वह बीच में ही घर चले गए। फिर शाम को वह सीधे शिवाजी पार्क पहुंचे।
 

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