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19 नवंबर 2012

शिवसैनिक ही देंगे सेनापति को कंधा, राज को किया बेइज्‍जत



शिवसैनिक ही देंगे सेनापति को कंधा, राज को किया बेइज्‍जत
मुंबई.  शिवसेना सुप्रीमो बाला साहेब ठाकरे को अंतिम विदाई देने के लिए जहां शनिवार को मुंबई में बीस लाख से अधिक लोग उमड़े थे, वहीं मातोश्री में कलह की स्थिति बन गई थी। इसकी सबसे बड़ी वजह ठाकरे के मंझले बेटे जयदेव, छोटे बेटे उद्वव और भतीजे राज ठाकरे के बीच अहं का टकराव बताया जा रहा है।
 
सूत्रों का कहना है कि जयदेव और उद्वव दोनों ही बाल ठाकरे को मुखाग्नि  देना चाह रहे थे। लेकिन हिंदू धर्म के अनुसार, बड़ा या फिर छोटा बेटा ही पिता की चिता को आग दे सकता है। आपसी वाद-विवाद के बाद यह तय हुआ कि उद्धव ही बाल ठाकरे को मुखाग्नि देंगे। वहीं, परिवार के लोग यह भी चाह रहे थे कि राज ठाकरे अंतिम संस्‍कार में कोई भूमिका अदा नहीं करें।  
 
रविवार की सुबह जब मातोश्री बंगले से ठाकरे का पार्थिव शरीर अंतिम महायात्रा के लिए बाहर लाया गया था, तब राज से कहा गया कि तुम बाला साहेब को कंधा मत दो। शिवसैनिक ही उनके पार्थिव शरीर को बाहर ले जाएंगे। 
 
दरअसल ठाकरे का भतीजा होने की वजह से कंधा देने का राज का हक बनता था। परंतु उन्हें जानबूझ कर एक तरह से अपमानित किया गया और यह अहसास कराया गया कि भले ही वे ठाकरे परिवार के सदस्य हैं, परंतु शिवसेना से बाहर जाने की वजह से वे पार्टी के लिए पराए हैं। 
 
मनसे के सूत्रों पर भरोसा किया जाए, तो कंधा देने से मना किए जाने से राज ठाकरे बहुत ही दुखी हो गए और विवाद से बचने के लिए वे ठाकरे का पार्थिव शरीर ले जाने वाले ट्रक पर भी सवार नहीं हुए। हालांकि उनकी पत्नी और बच्चे उस पर सवार थे। ध्यान रहे कि मातोश्री के बाहर भले ही राज ठाकरे को किसी ने भी कंधा देते नहीं देखा हो, परंतु जब शिवाजी पार्क में ठाकरे का अंतिम संस्कार हो रहा था, तब उद्धव ठाकरे ने उनका हाथ खिंचकर करीब लाया था। 
 
बाल ठाकरे की शव यात्रा को बीच में ही छोड़ कर पहले राज ठाकरे और फिर जयदेव चले गए थे। दोनों बाद में शिवाजी पार्क पहुंचे। ठाकरे शव यात्रा के लिए उस ट्रक में भी सवार नहीं हुए, जिस पर बाल ठाकरे का पार्थिव शरीर रखा था। ट्रक पर राज की पत्‍नी शर्मिला, उद्वव की पत्‍नी रश्मि और जयदेव की पूर्व पत्‍नी स्मिता तक मौजूद थीं। लेकिन राज अपने समर्थकों के साथ पैदल ही चल रहे थे। लेकिन शव यात्रा 'सेना भवन' पहुंचने से ऐन पहले राज अपने घर चले गए थे।

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