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22 नवंबर 2012

तीन आतंकियों की फांसी की सजा रद्द, कोर्ट ने उतारा पुलिस पर गुस्सा



नई दिल्ली. दिल्ली हाईकोर्ट ने लाजपत नगर ब्लास्ट मामले में मौत की सजा से दंडित दो आतंकियों को बरी कर दिया जबकि एक की मौत की सजा उम्र कैद में बदल दी। सभी आरोपी जम्मू-कश्मीर इस्लामिक फ्रंट (जेकेआईएफ) के सदस्य हैं।

जस्टिस रवींद्र भट और जीपी मित्तल की बेंच ने गुरुवार को यह फैसला दिया। हाईकोर्ट ने नौशाद की मौत की सजा उम्र कैद में बदली है। निसार हुसैन और अली भट को बरी कर दिया है।

जावेद अहमद खान उर्फ छोटा जावेद की उम्र कैद की सजा बहाल रखी है। बेंच ने जांच में गंभीर खामियों के लिए पुलिस को फटकारा है। दिल्ली पुलिस की निंदा करते हुए कहा कि वह न्यूनतम सबूत जुटा पाने में नाकाम रही है।

उसने बहुत ही चलताऊ रवैया दिखाया है। शिनाख्ती परेड नहीं कराई गई। महत्वपूर्ण गवाहों के बयान दर्ज नहीं कराए गए। रोजनामचा भी पेश नहीं किया।

धमाके में गई थीं 13 जानें

जेकेआईएफ के आतंकियों ने 21 मई 1996 को वारदात को अंजाम दिया था। लाजपत नगर मार्केट में चोरी की मारूति में विस्फोटक रखकर उड़ा दिया गया था। इस घटना में 13 लोग मारे गए थे। मामले में निचली कोर्ट ने अप्रैल 2010 में छह आतंकियों को दोषी ठहराया था।

मोहम्मद नौशाद, मोहम्मद अली भट और मिर्जा निसार हुसैन को मौत की सजा सुनाई। जावेद अहमद खान को उम्र कैद दी। दो अन्य फारूक अहमद खान और एक महिला फरीदा डार को विस्फोटक कानून के तहत दोषी माना।

फारूक को सात साल और फरीदा को चार साल दो माह कैद की सजा सुनाई गई। नौशाद, अली भट्ट, मिर्जा निसार हुसैन और जावेद अहमद ने हाईकोर्ट में अपील की थी।

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