अमृतसर। शरीर पर लाल और सफेद गोटे वाला चोला, सिर पर लंगूरी टोपी, हाथ में इन्हीं सबसे मेल खाती छड़ी और पांवों में छम्म-छम्म की आवाज बुलंद करते घुंघरू। ऐसा स्वरूप (लंगूर) तैयार होकर जब ढोलक की थाप पर थिरकता हुआ गली-कूचों से निकल कर पावन तीर्थ श्री दुग्र्याणा के बड़ा श्री हनुमान मंदिर की तरफ निकलता है तो छटा देखते ही बनती है। नजर पड़ते ही हरेक का माथा श्रद्धा से नत हो जाता है।
जी हां, हम बात कर रहे हैं नवरात्रों के मौके पर मनाए जाने वाली लंगूर प्रथा की और उसी का यह पहरावा तैयार करने में लोग जुट गए हैं। इसका काम करने वाले रात-दिन एक करके चोला सलिल रहे हैं तो कमेटी ने भी भक्तों को चोला उपलब्ध कराने के लिए अपने भंडार का कपाट खोल दिया है। चूंकि चंद दिनों के भीतर ही श्राद्ध की शुरुआत हो जाएगी सो, लोगबाग अभी से इसे जुटाने में लग गए हैं
जी हां, हम बात कर रहे हैं नवरात्रों के मौके पर मनाए जाने वाली लंगूर प्रथा की और उसी का यह पहरावा तैयार करने में लोग जुट गए हैं। इसका काम करने वाले रात-दिन एक करके चोला सलिल रहे हैं तो कमेटी ने भी भक्तों को चोला उपलब्ध कराने के लिए अपने भंडार का कपाट खोल दिया है। चूंकि चंद दिनों के भीतर ही श्राद्ध की शुरुआत हो जाएगी सो, लोगबाग अभी से इसे जुटाने में लग गए हैं
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