इसकी वजह है सैफ का अपने गांववालों के प्रति उपेक्षित रवैया। सैफ ने शुक्रवार और शनिवार को होने वाली पार्टी के लिए गांव के किसी भी व्यक्ति को दावत देना तो दूर महल में आकर मिलने का न्यौता तक नहीं दिया। इससे गांववालें काफी दुखी हैं। यहां के लोग उनके स्वर्गीय पिता मंसूर अली खान पटौदी की मेहमान नवाजी के मुरीद हैं, क्योंकि मंसूर अली ने शर्मिला से शादी के बाद पटौदी रियासत के 52 गावों के लोगों को दावत दी थी। इसने दौरान गांवों में जश्र मना था। लोगों ने पटाखे जलाए थे। दावत के साथ ही लोगों को तोहफे भी दिए थे। इनमें अजीजों को सोने की अंगूठी से लेकर कपड़े और 5 बर्तन तक दिए गए थे, जोकि गांव के लोगों ने आज तक संजोकर रखे हुए हैं। यहां के बड़े-बुजुर्गों का साफ कहना है कि हम दुखी है कि सैफ ने हमें नहीं पूछा। आज लोगों को आने तक की खबर नहीं दी।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
21 अक्तूबर 2012
सैफ से पटौदी रियासत नाराज, खानदान के पुराने अजीजों को भी नहीं मिला न्योता
इसकी वजह है सैफ का अपने गांववालों के प्रति उपेक्षित रवैया। सैफ ने शुक्रवार और शनिवार को होने वाली पार्टी के लिए गांव के किसी भी व्यक्ति को दावत देना तो दूर महल में आकर मिलने का न्यौता तक नहीं दिया। इससे गांववालें काफी दुखी हैं। यहां के लोग उनके स्वर्गीय पिता मंसूर अली खान पटौदी की मेहमान नवाजी के मुरीद हैं, क्योंकि मंसूर अली ने शर्मिला से शादी के बाद पटौदी रियासत के 52 गावों के लोगों को दावत दी थी। इसने दौरान गांवों में जश्र मना था। लोगों ने पटाखे जलाए थे। दावत के साथ ही लोगों को तोहफे भी दिए थे। इनमें अजीजों को सोने की अंगूठी से लेकर कपड़े और 5 बर्तन तक दिए गए थे, जोकि गांव के लोगों ने आज तक संजोकर रखे हुए हैं। यहां के बड़े-बुजुर्गों का साफ कहना है कि हम दुखी है कि सैफ ने हमें नहीं पूछा। आज लोगों को आने तक की खबर नहीं दी।
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बहुत अच्छा लेख
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