आज (29 अक्टूबर, सोमवार) शरद पूर्णिमा है, धर्म शास्त्रों में
इसे कोजागर पूर्णिमा भी कहा गया है। पुराणों के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात
को भगवती महालक्ष्मी रात्रि में यह देखने के लिए घूमती हैं कि कौन जाग रहा
है और जो जाग रहा है महालक्ष्मी उसका कल्याण करती हैं तथा जो सो रहा होता
है वहां महालक्ष्मी नहीं ठहरती। लक्ष्मीजी के को जागर्ति (कौन जाग रहा है?)
कहने के कारण ही इस व्रत का नाम कोजागर व्रत पड़ा है। इस दिन व्रत रख माता
लक्ष्मी का पूजन करने का विधान भी है। धार्मिक ग्रंथों में उल्लेखित एक
श्लोक के अनुसार-
निशीथे वरदा लक्ष्मी: को जागर्तिति भाषिणी।
जगाति भ्रमते तस्यां लोकचेष्टावलोकिनी।।
तस्मै वित्तं प्रयच्छामि यो जागर्ति महीतले।।
पूजन विधि
इस व्रत में हाथी पर बैठे इंद्र और महालक्ष्मी का पूजन करके उपवास रखना चाहिए। रात केसमय घी का दिया जलाकर और गंध, पुष्प आदि से पूजित एक सौ या यथाशक्ति अधिक दीपकों को प्रज्वलित कर देव मंदिरों, बाग-बगीचों, तुलसी के नीचे या भवनों में रखना चाहिए। सुबह होने पर स्नानादि करके इंद्र का पूजन कर ब्राह्मणों को घी-शक्करमिश्रित खीर का भोजन कराकर वस्त्रादि की दक्षिणा और सोने के दीपक देने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
इस दिन श्रीसूक्त, लक्ष्मीस्तोत्र का पाठ ब्राह्मण द्वारा कराकर कमलगट्टा, बेल या पंचमेवा अथवा खीर द्वारा दशांश हवन करवाना चाहिए। इस विधि से कोजागर व्रत करने से माता लक्ष्मी अति प्रसन्न होती हैं तथा धन-धान्य, मान-प्रतिष्ठा आदि सभी सुख प्रदान करती हैं।
निशीथे वरदा लक्ष्मी: को जागर्तिति भाषिणी।
जगाति भ्रमते तस्यां लोकचेष्टावलोकिनी।।
तस्मै वित्तं प्रयच्छामि यो जागर्ति महीतले।।
पूजन विधि
इस व्रत में हाथी पर बैठे इंद्र और महालक्ष्मी का पूजन करके उपवास रखना चाहिए। रात केसमय घी का दिया जलाकर और गंध, पुष्प आदि से पूजित एक सौ या यथाशक्ति अधिक दीपकों को प्रज्वलित कर देव मंदिरों, बाग-बगीचों, तुलसी के नीचे या भवनों में रखना चाहिए। सुबह होने पर स्नानादि करके इंद्र का पूजन कर ब्राह्मणों को घी-शक्करमिश्रित खीर का भोजन कराकर वस्त्रादि की दक्षिणा और सोने के दीपक देने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
इस दिन श्रीसूक्त, लक्ष्मीस्तोत्र का पाठ ब्राह्मण द्वारा कराकर कमलगट्टा, बेल या पंचमेवा अथवा खीर द्वारा दशांश हवन करवाना चाहिए। इस विधि से कोजागर व्रत करने से माता लक्ष्मी अति प्रसन्न होती हैं तथा धन-धान्य, मान-प्रतिष्ठा आदि सभी सुख प्रदान करती हैं।
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