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15 अक्तूबर 2012

ममता फिर शर्मसार, बेटी को बाड़े में मारने के लिए छोड़ गई मां



 

भीलवाड़ा/मांडलगढ़। एक और बेटी की बेकद्री का दर्दनाक उदाहरण रविवार सुबह जिले के मांडलगढ़ के सराणा गांव में सामने आया, जहां एक नवजात को पालने से गोद में उठाकर दुलारने के बजाय पशुओं के बाड़े में मरने के लिए छोड़ दिया गया। क्योंकि यह नवजात एक कन्या है।
फूल सी कोमल यह नवजात जन्म के कुछ ही घंटों बाद पशु बाड़े में घायल अवस्था में मिली। उसे जनने वाली मां का हृदय नहीं पसीजा। कन्या होने की बेकद्री का इस हृदयविदारक मामला बीगोद थाना क्षेत्र का है। जहां सुबह करीब आठ बजे देवनारायण की बनी के पास बने कच्चे बाड़े में नुकीले पौधों और डंठलों के बीच कराहती यह कन्या ग्रामीणों को दिखी। उस नन्ही जान के कोमल कान, हाथ व शरीर के अन्य अंगों पर चोटें साफ नजर आ रही थी। उस समय इस बालिका को जन्मे महज दो-तीन घंटे ही हुए थे। सूचना से मौके पर पहुंची पुलिस ने अस्पताल में उसका प्राथमिक उपचार कराया। इसके बाद बाल कल्याण समिति की देखरेख में जिला मुख्यालय के महात्मा गांधी अस्पताल रखा गया है। समिति अध्यक्ष डॉ. सुमन त्रिवेदी ने बताया कि शाम तक बालिका की सेहत में सुधार हुआ है। मांडलगढ़ के पुलिस उपाधीक्षक धर्मेंद्र यादव ने बताया कि बालिका को छोड़कर जाने वाली अज्ञात महिला के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। शाम तक बालिका के माता-पिता के बारे में कोई पता नहीं चल पाया।
दो महीने में दूसरा मामला
गत दो अगस्त को भी ऐसा ही मामला सामने आया था। बागौर के बोरियापुरा में कंटीली झाडिय़ों में नवजात कन्या लावारिस अवस्था में मिली थी। उसके शरीर पर कांटों के स्क्रेच थे। गत 29 अप्रैल को एमजी हॉस्पिटल के गार्डन में कचरे में एक नवजात बालिका लावारिस मिली थी।
नवजात को श्वास लेने में तकलीफ थी। कान सहित शरीर के अन्य हिस्सों में चोटों के निशान भी थे। उसे ऑक्सीजन चढ़ाई गई। शाम तक नवजात की सेहत में काफी सुधार हुआ है। बालिका का वजन तीन किलो 100 ग्राम है। वह स्वस्थ है। सोमवार से फीडिंग शुरू कर सकते हैं।
-डॉ. राधेश्याम श्रोत्रिय, चाइल्ड स्पेशलिस्ट, एमजी हॉस्पिटल
नवजात कन्या को इस दशा में छोड़कर जाने से हर किसी का मन पसीज जाता है। हॉस्पिटल में दो परिवारों ने इस बालिका को गोद लेने की मंशा जाहिर की है।
-डॉ. सुमन त्रिवेदी, अध्यक्ष, बाल कल्याण समिति

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