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20 अक्तूबर 2012

यहां नौ दिन तक पानी से जली ज्योति, आज भी होते हैं माता के चमत्कार!



 
छोटीसादड़ी/उदयपुर.छोटीसादड़ी की स्थापना के साथ ही नगर में मां अन्नपूर्णा मंदिर की स्थापना हुई थी। मान्यता है कि यहां चमत्कारी मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा के दर्शन करने से मनोकामना तो पूर्ण होती ही है, वहीं मंदिर परिसर में स्थित प्राचीन बड़ वृक्ष की परिक्रमा करने से विभिन्न प्रकार की बीमारियों से भी निजात मिलती है। मंदिर में मां अन्नपूर्णा के अलावा मां कालिका व अन्य कई देवी प्रतिमाएं भी बिराजित हैं।

मंदिर के पुजारी अरविंद दास साधु के अनुसार कई वर्षों पहले नगर में एक बीमारी ने सभी को जकड़ लिया था। बीमारी के डर व उससे बचने के लिए यहां के निवासी घर छोड़कर खेत, कुएं या अन्य जगहों पर निवास करने लगे थे। इसके बाद से कोई वापस नगर में आने को तैयार नहीं था।

तब शारदीय नवरात्रा में मंदिर में मां अन्नपूर्णा ने एक भोपे के शरीर में प्रवेश कर बीमारी से निजात दिलाने के लिए मंदिर के पास लाला जी की बगीची स्थित प्राचीन बावड़ी के पानी से सात बार लोटे को मांज कर उसमें पानी भरकर जोत में डालने को कहा। इस तरह नौ दिन तक यहां पानी की जोत जलती रही। इसके बाद बीमारी का प्रकोप धीरे-धीरे खत्म हो गया।

फिर अष्टमी हवन व नवमी के दिन नवरात्रा का विसर्जन भक्तों द्वारा किया गया। बीमारी खत्म होने के बाद वापस लोग अपने-अपने घर में लौट आए। यहां चैत्र व कार्तिक दोनों नवरात्रियों में अखंड जोत जलती है। दोनों समय महाआरती होती है। मंदिर के पुजारी नवरात्रि पर नौ दिन तक अन्न का त्याग कर पूजा-अर्चना करते हैं।

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