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18 सितंबर 2012

गणेशजी के चूहे से सीखें LIFE MANAGEMENT



 

शास्त्रों के अनुसार सभी देवी-देवताओं के वाहन अलग-अलग और विचित्र बताए हैं। किसी भी देवता का वाहन अज्ञान और अंधकार की शक्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं जिसका नियंत्रण वह देवता करते हैं। गणेशजी का वाहन है मूषक यानि चूहा। गणपति को विशालकाय बताया गया है जबकि उनका वाहन मूषक अति लघुकाय है।
आज जीवन के अनुसार गणेशजी का चूहा हमें कई महत्वपूर्ण लाइफ मैनेजमेंट के फंडे बताता है जिन्हें अपनाकर हम हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। चूहा जिस प्रकार हमारे घर में कहीं बिल बनाकर रहता है और हम चूहे को बिल के अंदर देख नहीं पाते हैं। इसी वजह से चूहे को अंतर्यामी ब्रह्म का प्रतीक माना गया है। अंतर्यामी ब्रह्म से तात्पर्य है कि सृष्टि के सभी पदार्थों, सभी स्थानों में ईश्वर का वास है लेकिन दिखाई नहीं देते। जिस प्रकार हम हमारे ही घर में रहने वाले चूहे को बिल के अंदर नहीं देख पाते, ठीक उसी प्रकार मोह, अविद्या, अज्ञानवश हम भगवान को भी समझ नहीं पाते हैं। अत: हमें भी अपना अभिमान त्याग कर परमात्मा की उपासना करनी चाहिए।
गणेशजी को बुद्धि और ज्ञान का देवता माना जाता है। उनका वाहन चूहा भी जिस प्रकार किसी भी वस्तु को कुतर-कुतर कर उसके छोटे-छोटे टुकड़े कर देता है उसी प्रकार हमें भी बुद्धि के प्रभाव से जीवन की सभी समस्याओं अलग-अलग कर विश्लेषण करना चाहिए। जिससे सत्य और ज्ञान तक पहुंचा जा सके। जिन लोगों पर गणपति की कृपा होती है, उन्हें अच्छी बुद्धि और ज्ञान प्राप्त होता है।
चूहा बिल में छिपकर रहने वाला अंधकार प्रिय प्राणी है। इस वजह से यह नकारात्मक और अज्ञानी शक्तियों का प्रतीक भी है। ये शक्तियां ज्ञान और प्रकाश से डरती हैं और अंधेरे में अन्य लोगों को हानि पहुंचाती हैं। जो व्यक्ति गणेशजी की कृपा प्राप्त करना चाहता है उसे इन सभी नकारात्मक शक्तियों और भावनाओं का त्याग करना होगा। तभी वह व्यक्ति ज्ञान और बुद्धि प्राप्त कर सकता है। अंधकार और नकारात्मक विचारों को छोडऩे के बाद व्यक्ति को जीवन के हर कदम पर सफलता ही प्राप्त होती है।
जिस प्रकार चूहा हमेशा ही सर्तक और जागरुक रहता है उसी प्रकार हमें भी हर प्रकार की परिस्थितियों का सामना करने के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए और समस्याओं को तुरंत सुलझा लेना चाहिए।
चूहे को धान्य अर्थात् अनाज का शत्रु माना जाता है और श्रीगणेश का उस नियंत्रण रहता है। अत: श्रीगणेश का वाहन मूषक यह संकेत देता है कि हमें भी हमारे अनाज, संपत्ति आदि को बचाकर रखने के लिए उन विनाशक जीव-जंतुओं पर नियंत्रण करना चाहिए। वहीं हमारे जीवन में जो लोग हमें नुकसान पहुंचा सकते हैं उन पर भी पूर्ण नियंत्रण किया जाना चाहिए। ताकि जीवन की सभी समस्याएं समाप्त हो जाए और हम सफलताएं प्राप्त कर सके।
इन सभी बातों को अपनाने से हमारे जीवन की कई परेशानियां दूर हो जाएंगी। धन, संपत्ति और धर्म के क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलताएं प्राप्त होंगी। घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान मिलेगा।

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