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28 सितंबर 2012

‘अनाम’ की नाट्य प्रस्तुति – शिवराम को रचनात्मक श्रृद्धांजलि

विभिन्न कला-विधाओं में रवि कुमार, रावतभाटा

Tag Archives: शिवराम

वे ही देखते हैं मुक्ति के स्वप्न – कविता पोस्टर

वे ही देखते हैं मुक्ति के स्वप्न
( शिवराम की कविता-पंक्तियों पर एक कविता-पोस्टर )
००००० रवि कुमार

‘अनाम’ की नाट्य प्रस्तुति – शिवराम को रचनात्मक श्रृद्धांजलि

अनाम’ की नाट्य प्रस्तुति
“ईश्वर अल्लाह तेरो नाम” का प्रभावी मंचन
सुप्रसिद्ध रंगकर्मी साथी शिवराम को दी गई रचनात्मक श्रृद्धांजलि
shivram - sketch by ravi kumar, rawatbhata२५ दिसंबर २०११. कोटा की रंगकर्मी संस्था ‘अनाम’ अभिव्यक्ति नाट्य एवं कला मंच के रंगकर्मी साथियों ने ‘अनाम’ के संस्थापक, प्रतिष्ठित साहित्यकार एवं रंगकर्मी साथी शिवराम के निधन के पश्चात हर वर्ष उनके जन्मदिवस पर उनकी स्मृति को समर्पित एक नाट्य प्रस्तुति करने का संकल्प किया था। इसी श्रृंखला में शिवराम के ६३वें जन्मदिवस ( २३ दिसंबर ) के अवसर पर उनको रचनात्मक श्रृंद्धांजलि देने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन ऐलन इंस्टिट्यूट स्थित सद्‍भाव सभागार में किया गया। इस आयोजन में गीत-दोहों की संगीतमयी प्रस्तुति और प्रबोध जोशी लिखित मशहूर नाटक ‘ईश्वर अल्लाह तेरो नाम’ का मंचन किया गया।
संचालन करते हुए ‘विकल्प’ के अध्यक्ष महेन्द्र नेह ने शिवराम के संघर्षमयी जीवन और क्रांतिकारी मूल्यों पर एक संक्षिप्त वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए कहा कि शिवराम एक उच्च कोटि के विचारक, सृजनधर्मी, संघर्षशील साथी तो थे ही, लेकिन इससे भी बढ़कर इंसानियत का गहरा जज़्बा और संवेदशीलता उनके रोम-रोम से व्यक्त होती थी। मेहनतकश जन-गण की मुक्ति तथा शोषण-विहीन, पाखण्ड रहित, ज्ञान-विज्ञान-कला और संस्कृति से समृद्ध एवं समानता पर आधारित उन्नत भारत उनके सपनों और संकल्पों की घुरी था। अपने सपनों और संकल्पों को ज़मीन पर उतारने के लिए उन्होंने कई सामाजिक-सांस्कृतिक-साहित्यिक संस्थाओं, ट्रेड यूनियनों-किसान-युवा-छात्र एवं तानाशाही व सांप्रदायिकता विरोधी जन-अधकार संगठनों में स्वयं को खपा कर काम किया और देश भर में अपने सह-विचारकों, सह-कर्मियों, मित्रों व शुभ-चिंतकों का एक विशाल कारवां तैयार किया। उन्होंने कहा कि नाटक के मोर्चे पर उनकी जलाई इस मशाल को कोटा में आशीष मोदी, कपिल सिद्धार्थ, पवन कुमार, अज़हर अली और अनाम के अन्य नौजवान साथियों ने जलाए रखने तथा उनके संकल्पों तथा कार्यों को आगे बढ़ाने का जो संकल्प लिया है और उसे चरितार्थ कर रहे हैं वही उनके प्रति एक सच्ची साथियाना श्रृद्धांजलि है।
कार्यक्रम की शुरुआत में शिवराम द्वारा लिखित गीतों और दोहों को कोटा के ही वरिष्ठ गीतकार एवं संगीतज्ञ शरद तैलंग ने संगीतबद्ध स्वर प्रदान कर उनके प्रभाव को अधिक मार्मिक बना कर प्रस्तुत किया। डॉ.राजश्री गोहटकर ने भी गीत प्रस्तुत किये।
अनाम के साथियों ने इस बार अपनी प्रस्तुति के लिए प्रबोध जोशी के नाटक ‘ईश्वर अल्लाह तेरो नाम’ को चुना। आज की परिस्थितियों में जबकि साम्प्रदायिक और विघटनकारी शक्तियां उभार पर हैं और समाज में नकारात्मक परिदृश्य रचना चाहती हैं, ऐसे में यह नाटक और अधिक मौजूं बनकर सामने आता है। आज़ादी के समय के विभाजन की पृष्ठभूमि में एक पागलखाने पर इसके असरों की पड़ताल के जरिए यह नाटक विभाजन का, सांप्रदायिक और विघटनकारी मूल्यों का मखौल उड़ाता है और साम्प्रदायिक सौहार्द और एकता के नये तर्क गढ़ता है।
इस नाटक में एक पागलखाने में विभिन्न प्रतीकात्मक चरित्र हैं जो अपनी सामान्य पर विशिष्ट दिनचर्याओं में हैं। विभाजन के वक़्त पागलों की भी अदला-बदली का एक आदेश पागलखाने में हड़कंप मचा देता है और शुरुआत होती है नाटकीयताओं से भरपूर दृश्यों की जिनमें डूबते-उतरते दर्शक सभ्य-समाज के साम्प्रदायिक एवं विघटनकारी जैसे पागलपनें के मूल्यों के मखौल और पागलों के सहज मानवतावादी सौहार्द के मूल्यों के साथ अपने को एकाकार करते जाते हैं। कोटा के ही प्रमुख नाट्य-निर्देशक ललित कपूर के सधे हुए निर्देशन में इस नाटक की कोलाज़मयी प्रस्तुति और भी प्रभावशाली हो गई थी जिसको दर्शकों ने भी भरपूर सराहा।
ईश्वर और अल्लाह की मुख्य चरित्र भूमिकाओं में आशीष मोदी और अज़हर अली ने अपने मार्मिक अभिनय द्वारा दर्शकों पर गहरा प्रभाव छोड़ा। सुपरिटेण्डेंट की भूमिका में डॉ.पवन कुमार स्वर्णकार, अनामी की भूमिका में राजेश शर्मा (आकाश), विनोद की भूमिका में राजकुमार चौहान, आइजैक की भूमिका में अभियंक व्यास तथा युवती की भूमिका में राजकुमारी ने अपने सराहनीय अभिनय के द्वारा दर्शकों की खूब दाद पाई। संगीत की कमान मनीष सोनी और मोहन सिंह ने संभाली। मैकअप व मंच की अन्य व्यवस्थाएं रोहित पुरुषोत्तम, शिवकुमार एवं रवि कुमार के हाथों में थी।
इस अवसर पर ही अर्जुन कवि स्मृति संस्थान ( राजस्थान ) द्वारा शिवराम को उनके साहित्य एवं रंगकर्म के क्षेत्र में दिये गये विशिष्ट सृजनात्मक योगदान के लिए निधन उपरांत ‘अर्जुन कवि जनवाणी सम्मान’ से सम्मानित भी किया गया। यह सम्मान शिवराम की मां कलावती देवी और पत्नी सोमवती देवी ने ग्रहण किया।

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