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22 सितंबर 2012

क्रिकेटर को 6 छक्कों पर 6 करोड़, फौजी को 6 गोली पर 6 हजार भी नहीं



 

कोटा. कारगिल युद्ध में पाक अधिकृत तोलोलिंग पहाड़ी की चोटी पर पहला तिरंगा फहराने वाले महावीर चक्र विजेता कमांडो दीगेंद्र कुमार उर्फ ‘कोबरा’ फौजियों के साथ हो रहे सरकारी बर्ताव से निराश हैं। इस जांबाज कमांडो का कहना है कि देश का दुर्भाग्य है कि क्रिकेट में 6 छक्के मारो तो 6 करोड़ रुपए का इनाम मिलता है, लेकिन जान हथेली पर रखकर देश की रक्षा करने वाले फौजी को 6 गोलियां भी लग जाए तो सरकार 6 हजार रुपए तक नहीं देती है।

कोबरा इस बात से भी दुखी हैं कि देश में महावीर चक्र विजेता को सरकार प्रतिमाह केवल 5 हजार रु.देती है, जबकि आतंकी अफजल और कसाब पर 20-20 हजार रु. खर्च कर रही है। अभा वैश्य महासम्मेलन के पदाधिकारियों ने इस मौके पर मोदी कॉलेज में कमांडो दीगेंद्र कुमार का सम्मान किया। सीकर जिले के झालरा गांव में रहने वाले फौजी दीगेंद्र को सेना मैडल व ‘बेस्ट कमांडो ऑफ इंडियन आर्मी’ का खिताब भी मिला।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेश के प्रत्येक कारगिल सैनिक को 15 हजार रु., 25 या 50 बीघा कृषि भूमि और 350 वर्गमीटर भूखंड देने की घोषणा की थी। उन्हें 15 माह बाद 15 हजार की मदद मिली। लेकिन सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटते हुए 13 साल हो गए आज तक 50 बीघा कृषि भूमि नहीं मिल सकी। फाइल मुख्यमंत्री के पास पड़ी है, अब मैं किसके पास जाकर रोऊं।

फौजी केवल कमांडर की शाबासी पाकर खुश हो लेता है

यह देश दुर्भाग्य है कि क्रिकेट में करोड़ों रुपए का इनाम मिलता है, लेकिन जान हथेली पर रखकर देश की रक्षा करने वाले फौजी को 6 गोलियां भी लग जाए तो सरकार 6 हजार रुपए तक नहीं देती है। वहीं फौजी केवल कमांडर की शाबासी पाकर खुश हो लेता है।

महावीर चक्रनायक दीगेंद्र ऐसे दूसरे कमांडो हैं जिन्हें कारगिल युद्ध में जीवित महावीर चक्र मिला है। यह परमवीर चक्र के बाद दूसरा सर्वोच्च सम्मान है। कारगिल युद्ध में असाधारण पराक्रम दिखाने पर 10 जांबाजों को 15 अगस्त,1999 को महावीर चक्र से नवाजा गया था।

देखो! यहां झेली थी दुश्मन की गोलियां

आरक्षण देना ही है तो पहले सेना में दो

मौजूदा व्यवस्था पर दो टूक शब्दों में उन्होंने कहा, देश से आरक्षण बिल्कुल खत्म कर दो। जो तन-मन-धन से गरीब हो, उसे मजबूत करो। आरक्षण देना ही है तो सबसे पहले सेना में दो। ताकि वे देश के लिए भी कुछ त्याग करें। वे बोले- जनता को इंसाफ दिलाने के लिए देश से रिश्वत, चमचागिरी, सिफारिश की प्रवृत्ति को विदा करना होगा।

आंखों में तैरते हैं गर्व के वे पल

12 जून,1999 की रात। सेना के 250 कमांडो की बटालियन ने गोला-बारूद भरकर कारगिल में 15 हजार फीट ऊंची बर्फीली तोलो-लिंग पहाड़ी को पाक कब्जे से मुक्त कराने के लिए धावा बोला। पाक सेना ने वहां 11 बंकर बना रखे थे। कमांडो की सी कंपनी को अटैक करने का जिम्मा सौंपा गया। इसमें नायक दीगेंद्र कुमार के साथ कुल 10 लड़ाकू कमांडो शामिल थे। गोलों के तेज धमाकों के बीच पल-पल मौत से सामना करते जांबाज कमांडो पहाड़ी की सीधी चट्टान पर रस्सी के सहारे रेंगते हुए आगे बढ़ रहे थे।

दीगेंद्र के हाथ दुश्मन की मशीनगन की बैरल लगी, वहां दुश्मन का आभास होते ही उसने बैरल को निकालकर एक पल में हथगोला बंकर में सरका दिया जो जोर के धमाके से फटा और पहला बंकर ध्वस्त हो गया। एक हाथ व सीने में 5 गोली खाने के बावजूद जांबाज कमांडो दीगेंद्र सिंह उर्फ कोबरा की टीम ने 11 बंकर बर्बाद कर दिए। 13 जून को सुबह 4 बजे उन्होंने पाक मेजर अनवर खान को मौत के घाट उतार कर तोलो-लिंग की चोटी पर तिरंगा लहरा दिया। उनके पिता शिवदान सिंह पर सारी भी 1948 में 5 गोली खाकर शहीद हुए थे। 1993 में कुपवाड़ा में उग्रवादियों के एरिया कमांडर मजीद खान को ढेर करने पर दीगेंद्र को सेना मैडल दिया गया।

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